सिवनी, धारनाकला। क्षेत्र में खाद्य विभाग की लापरवाही और कथित मिलीभगत के चलते उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाला जा रहा है। त्योहार के मौसम में जहां लोगों को शुद्ध और मानक खाद्य सामग्री की उम्मीद होती है, वहीं यहां किराना दुकानों पर 850 ग्राम का रिफाइंड तेल एक लीटर के दाम में खुलेआम बेचा जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रिफाइंड तेल की पैकिंग स्पष्ट रूप से 850 ग्राम की होती है, लेकिन दुकानदार उससे पूरे 1 लीटर का मूल्य वसूल रहे हैं। यही नहीं, दाल, मसाले, आटा, चीनी जैसे रोजमर्रा के जरूरी सामानों में भी नाप-तौल की गड़बड़ी और कीमतों में हेराफेरी आम हो गई है।
जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता, बंद लिफाफे में ‘सेवा’
सूत्रों के मुताबिक, खाद्य विभाग के अधिकारी समय-समय पर जांच के नाम पर तो आते हैं, लेकिन कार्रवाई के बजाय बंद लिफाफा सेवा लेकर लौट जाते हैं। लोगों का आरोप है कि दुकानदारों को पहले से जांच की तारीख और समय की खबर मिल जाती है, जिससे वे पहले ही अपनी ‘तैयारी’ कर लेते हैं और जांच महज़ औपचारिकता बनकर रह जाती है।
एक्सपायरी डेट का सामान भी बिक रहा बेखौफ
चौंकाने वाली बात यह है कि कई दुकानों पर एक्सपायरी डेट का सामान भी खुलेआम बेचा जा रहा है। पैकिंग पर लिखी तारीख खत्म हो जाने के बावजूद ये सामान अलमारियों पर सजाकर आम उपभोक्ता को बेचा जा रहा है। इससे न केवल लोगों की सेहत खतरे में है, बल्कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम की भी खुली धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
खाद्य विभाग की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
क्षेत्र में दर्जनों किराना दुकानें संचालित हैं, लेकिन अब तक कितने प्रकरण बनाए गए या कितने सैंपल जांच के लिए भेजे गए, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी खाद्य विभाग के रिकॉर्ड में नहीं मिलती।
लोगों का कहना है कि अगर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ईमानदारी से कार्रवाई करें, तो कई दुकानें ताला बंद हो जाएंगी, लेकिन मिलीभगत और रिश्वतखोरी ने पूरे सिस्टम को पंगु बना दिया है।
जिला कलेक्टर से हस्तक्षेप की मांग
स्थानीय उपभोक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संवेदनशील जिला कलेक्टर से अपील की है कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें, किराना दुकानों और खाद्य विभाग की मिलीभगत की जांच करवाई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि आगे से मानक और शुद्ध खाद्य सामग्री ही बाजार में उपलब्ध हो।

