सिवनी की बेटी ने की दक्षिण अफ्रीका में पर्वत पर चढ़ाई, फयहराया तिरंगा

By SHUBHAM SHARMA

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20 डिग्री पर महसूस हुई ऑक्सीजन की कमी! सिवनी की बेटी ने की दक्षिण अफ्रीका में पर्वत पर चढ़ाई!

सिवनी । सिंधिया कन्या विद्यालय की 9वीं से 12वीं तक की 17 स्टूडेंट्स ने साउथ अफ्रीका के किली मंजारों शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फयहराया है। इसमें सिवनी की बेटी ओर डॉ. सलिल त्रिवेदी की ज्येष्ठ पुत्री आहना भी दल का हिस्सा बनीं।

विश्व चौथे सबसे ऊंचे पर्वत पर चढ़ने में उन्हें कई परेशानियों का सामना भी किया, लेकिन अपने हौसले के बदौलत सफलता अर्जित कर शहर का मान बढ़ाया है। वे पर्वत की सबसे ऊंची चोटी उहरू पर तिरंगा फहाराकर गुरुवार को शहर लौटीं। उन्होंने अपने अनुभवों को शेयर करते हुए बताया कि यह चोटी समुद्र तल से 5895 मीटर ऊपर है। उन्हें अपने मिशन में सफलता सात दिन में मिली।

जमीने से ऊपर पहुंचते-पहुंचते तापमान मायनस 20 डिग्री सेल्सियस हो गया था। इतना ही नहीं हाई एलीट्यूड पर ऑक्सीजन भी कम हो गई थी। वे जैसे-जैसे ऊपर चढ़ रही थीं, उन्हें वैसे-वैसे सर्द हवाएं उन्हें अपनी गिरफ्त में लेती जा रही थीं। स्कूल प्राचार्य निशि मिश्रा ने बताया स्टूडेंट्स के प्रयासों पर उन्हें गर्व है।

उन्होंने हर दिन कई मीटर का सफर तय किया। रात के सोने के बजाय चलना पसंद किया। खास बात यह है देश के अलग-अलग शहरों की इन स्टूडेंट्स का अपने पैरेंट्स से भी कॉन्टेक्ट नहीं हो पाया। एक दिन टीम की कुछ साथी थक गईं, उन्होंने लौटने की बात भी कही, मगर अन्य ने उनका साहस बढ़ाया, जिससे मिशन सक्सेस हुआ।

पर्वत पर चढ़ने के लिए तीन महीने की प्रैक्टिस :

स्टूडेंट्स के दल ने साउथ अफ्रीका के शिखर पर तिरंगा फहराने के लिए लगातार तीन महीने प्रैक्टिस की। उन्होंने बाधाओं का पार करना स्कूल कैंपस में ही सीखा। उनका स्पेशल डाइटचार्ट तैयार किया गया। इतना ही नहीं उन्होंने एक्सरसाइज से अपना वजन भी घटाया।

स्कूल टीचर सुमन यादव ने बताया कि इस पर्वत पर जाने के लिए स्कूल प्रबंधन ने एक साल पहले तैयारी कर ली थी। उन्होंने अपने स्तर पर किलिमंजारो पर्वत पर रिसर्च कर यह जाना कि इस पर्वत पर कितने लोग अभी तक पहुंच चुके हैं और उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनसे प्रबंधन ने संपर्क कर अनुभव जाने और उसी आधार पर स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग शुरू की।

जिन 17 स्टूडेंट्स का सिलेक्शन किलिमंजारो मिशन के लिए किया गया,उनके पैरेंट्स से संपर्क किया गया। उनसे पूछा गया उनकी बेटियों का व्यवहार और खानपान घर लौटने पर कैसा रहता है। उसी हिसाब से एक्सपर्ट की मदद कर उन्हें तैयार किया गया।

पांच तरह क्लाइमेट किया पार-

चढ़ाई के दौरान पांच तरह के क्लाइमेट को स्टूडेंट्स ने पार किया। सबसे पहले सिविलाइजेशन जोन को पार किया। जिसका तापमान 35 डिग्री था। फिर रेनफॉरेस्ट जोन में पहुंचे, यहां तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस था। मूरलैंड जोन का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस रहा। एलपाइन डेजर्ट जोन पर स्टूडेंट्स को मायनस 10 डिग्री टेम्परेचर का भी सामना करना पड़ा। इसे पार करने के बाद ही वे पर्वत के उहरू शिखर पर पहुंचीं।

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