ब्रेकिंग! एमपी में शामिल होना चाहते हैं महाराष्ट्र के 154 गांव के लोग, तहसील धारणी को मध्यप्रदेश में शामिल करने की मांग तेज

SHUBHAM SHARMA
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ब्रेकिंग! एमपी में शामिल होना चाहते हैं महाराष्ट्र के 154 गांव के लोग, तहसील धारणी को मध्यप्रदेश में शामिल करने की मांग तेज

बुरहानपुर। मप्र और महाराष्ट्र की सीमा पर बसा गांव धारणी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यहां सुंदर जंगल, मेलघाट क्षेत्र है। वन्यप्राणी भी काफी संख्या में है, लेकिन यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

इसलिए वह महाराष्ट्र की बजाए मप्र में शामिल होना चाहते हैं। इसे लेकर शुक्रवार देर शाम उन्होंने मप्र महाराष्ट्र की बार्डर पर नारेबाजी कर विरोध भी दर्ज कराया।

धारणी के रहवासियों का कहना है कि यहां किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं है। सारा व्यापार भी मध्यप्रदेश के बुरहानपुर, खंडवा और बैतूल जिले से जुड़ा हुआ है। रोड की स्थिति खराब है। आवागमन के साधन बेहतर नहीं है।

रहवासियों को उद्योग आदि की सुविधाएं नहीं है। धारणी में 154 गांव है। यह करीब 150 किमी क्षेत्र में फैला है। इसके करीब 70 गांव मध्य प्रदेश से लगे हुए हैं। धारणी से अमरावती की दूरी करीब 190 किमी है। यह अति दुर्गम क्षेत्र है।

धारणी से अमरावती तक जाने के लिए 70 किमी का रास्ता रास्ता कहलाने के लायक नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से यहां कोई व्यवस्था नहीं है। यहां से अगर बीमार मरीज को अमरावती भेजा जाता है तो कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। ऐसे में लोग यहां से मरीज को बैतूल खंडवा या बुरहानपुर ले जाना पसंद करते हैं।

धारणी से इन जिलों की दूरी करीब 40 से 50 किमी है। अति दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। सरकारी योजनाएं भी यहां तक नहीं पहुंच पाती।

यही कारण है कि पिछले करीब 30 साल से यह क्षेत्र कुपोषण से मुक्त भी नहीं हो पाया है। लोगों का कहना है कि यहां सड़क नाम की कोई चीज ही नहीं है। यहां का पूरा बाजार मध्य प्रदेश पर निर्भर है। लोग व्यक्तिगत लाभ से वंचित हैं।

अमरावती जिले के जिला परिषद सदस्य श्रीपाल राम प्रसाद पाल ने कहा कि 63 ग्राम पंचायतों के लोग इस मांग को लेकर एकजुट हैं। ज्ञापन राष्ट्रपति, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भी भेजा गया है।

ग्रामीणों ने बताया कि धारणी के 100 गांव में अब तक पक्की सड़कें नहीं बनी है। करीब 24 गांवों में बिजली नहीं है। कुपोषण खत्म नहीं हुआ है जबकि 30 साल में यहां करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं।

यहां रहने वाले लोगों को मराठी नहीं आती है, जबकि अधिकारियों को हिंदी नहीं आती। ऐसे में भाषा की समस्या भी आ रही है। क्षेत्र वन विभाग में आता है, लेकिन वन विभाग की कोई सुविधाएं भी इनको नहीं मिलती है।

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Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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