मध्य प्रदेश: जब हौसले बुलंद हों तो दुनिया का बड़ा से बड़ा काम भी आपके लिए नामुमकिन नहीं होता. कुछ ऐसा ही साबित कर दिखाया है मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम (Ratlam) शहर की रहने वाली और दिव्यांग दिव्यांग दिक्षिका गोस्वामी (Dikshika Goswai) ने। दीक्षाका के डांस की जितनी तारीफ की जाए कम है क्योंकि जब वो एक पैर पर डांस करती हैं तो लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं.
दीक्षिका गोस्वामी अपने नृत्य और अपने कौशल में इतनी निपुण हैं कि जब वह किसी को एक दो बार नाचते हुए देखती हैं, तो 12 साल की दीक्षिका ठीक उसी तरह नाचती है। दीक्षिता गोस्वामी नेहरू स्टेडियम के पास जनचेतना बधिर और मंदबुद्धि स्कूल में पढ़ती हैं और कक्षा 5 में पढ़ती हैं। दीक्षाका को छोटी उम्र से ही नृत्य करने का बहुत शौक रहा है।
मंदसौर जिले के विवेक गिरी गोस्वामी की शादी साल 2009 में दोशी गांव निवासी ममता के साथ हुई थी. ममता ने साल 2010 में दीक्षिका को जन्म दिया था लेकिन किसी कारणवश उनका एक पैर विकसित नहीं हो सका। फिर जन्म के 4 महीने बाद ये भी पता चला कि ये न तो बोल सकती है और न ही सुन सकती है। इसके बाद गोस्वामी परिवार पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
Dakshita Goswami Dance: नृत्य में निपुण
विवेक गिरी गोस्वामी ने बताया कि उनके आसपास के क्षेत्र में मूक-बधिर स्कूल नहीं थे, जिसके कारण दीक्षा को उनकी नानी के घर रखा गया था. मंदबुद्धि माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका उषा तिवारी ने बताया कि दीक्षाका बहुत कम उम्र में उनके स्कूल आ गई थी। उषा तिवारी ने यह भी कहा कि 1 दिन दीक्षा डांस कर रही थीं तो उन्होंने उनसे पूछा कि क्या आपको डांस करना पसंद है तो दीक्षिका ने इशारे में हां कह दिया।
दीक्षाका ने जब स्कूल में एक कार्यक्रम में डांस किया तो वहां मौजूद सभी लोगों ने उनके डांस की तारीफ की, उनके शरीर में लचीलापन भगवान की देन है. दीक्षिका की सबसे खास बात यह है कि वह किसी भी डांस को एक दो बार देखने के बाद बिल्कुल वैसी ही डांस करने की क्षमता रखती हैं। स्कूल के प्राचार्य सतीश तिवारी ने भी उनकी नृत्य कला को प्रोत्साहित किया है।
दशरथ सिंह, जो दीक्षिता के मामा हैं, कहते हैं कि बचपन से दीक्षाका का एक ही सपना था कि वह बड़ी होकर डॉक्टर बने। उनका कहना है कि दिक्षिका बोल या सुन नहीं सकती लेकिन हम उसके इशारों से उसकी भावनाओं को समझते हैं। दीक्षा अब धीरे-धीरे दूसरों के हाव-भाव देखकर उनकी बातें समझ रही हैं।