उज्जैन। भगवान महाकाल के सेनापति कालभैरव का दो दिनी जन्मोत्सव 16 एवं 17 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। कालभैरव मंदिर के गर्भगृह एवं परिसर को 4 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा।
स्वर्ण श्रृंगार के साथ 56 भोग का नैवेद्य लगाया जाएगा। साथ ही किशन भगत की भजन संध्या होगी।
यह जानकारी रविवार को मुख्य पुजारी धर्मेंद्र सजाशिव चतुर्वेदी ने दी। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय कार्यक्रम अन्तर्गत 16 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त में कालभैरव का अभिषेक-पूजन किया जाएगा। प्रात: 9 बजे आरती होगी। पश्चात दिनभर दर्शन का सिलसिला चलेगा। गर्भगृह व परिसर 4 क्विंटल रंगीन फूलों से सजाया जाएगा।
संध्या 6 बजे संपूर्ण भारत वर्ष के जनकल्याण की कामना से हवन किया जाएगा। रात्रि 9 बजे आरती के बाद भगवान का भैरव सहस्त्र नामावली से अभिषेक किया जाएगा।
पश्चात स्वर्ण बरक से शृंगार होगा। शासकीय कोषालय से लाए गए सोने-चांदी के आभूषण धारण करवाए जाएंगे। 56 भोग का नैवद्य लगेगा। इसी रात्रि 12 बजे ढोल-नगाड़ों से महाआरती की जाएगी। 4 क्विंटल नुक्ति का प्रसाद अर्पण किया जाएगा। 16 नवंबर को ही सायं 7 बजे से गायक किशन भगत की भजन संध्या होगी।
वहीं, 17 नवंबर को प्रात: 9 बजे आरती होगी। दोपहर में पूजन पश्चात बाबा को परंपरा अनुसार सिंधिया रियासतकालीन पगड़ी धारण कराई जाएगी। अपरांह 4 बजे पालकी पूजन पश्चात भगवान कालभैरव की सवारी निकाली जाएगी। सवारी में ढोल,बैंड,बग्घी,घोड़े,ध्वज,अखाड़े,झांकी के साथ चांदी की पालकी में भैरव नाथ भक्तों को दिव्य दर्शन देंंगे।
सवारी मंदिर से शुरू होकर केंद्रीय जेल,भैरवगढ़ के बाहर पहुंचेगी। जहां जेल अधीक्षक के द्वारा पूजन किया जाएगा। यहां से नया बाजार,भैरवगढ़ नाका,माणक चौक,महेंद्र मार्ग होकर सवारी सिद्धवट घाट पहुंचेगी। यहां मां शिप्रा का पूजन व आरती की जाएगी। पश्चात सिद्धनाथ भगवान की पूजा व आरती होगी। सवारी यहां से पुन: ब्रजपुरा होकर काल भैरव मंदिर पहुंचेगी।