सिवनी। जिला मुख्यालय से अमरवाड़ा रोड स्थित गांव मुंगवानीकला निवासी प्रवीण कुमार, मनीष, हरीश उपाध्याय के घर सोमवार को एक साथ 29 ब्रह्मकमल खिले।
ब्रह्म कमल का फूल एक अद्भुत ही फूल है। यह वर्ष में एक बार ही खिलते हैं। अगस्त और सितंबर में इसके फूल खिलते हैं और वह भी 4 या 5 घंटे के लिए। अधिकतर यह हिमालय के राज्यों में ही पाया जाता है।
प्रवीण उपाध्याय ने बताया कि माना जाता है कि इसकी पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती हैं। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है। इससे पुरानी (काली) खांसी का भी इलाज किया जाता है।
इससे कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का इलाज होता है। यह तालों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन में उगता है। ब्रह्म कमल को ससोरिया ओबिलाटा भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम एपीथायलम ओक्सीपेटालम है।
इसमें कई एक औषधीय गुण होते हैं। चिकित्सकीय प्रयोग में इस फूल के लगभग 174 फार्मुलेशनस पाए गए हैं। वनस्पति विज्ञानियों ने इस दुर्लभ-मादक फूल की 31 प्रजातियां पाई जाती हैं।