उज्जैन/भोपाल । मध्य प्रदेश में गुरुवार को रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। परंपरा के मुताबिक रक्षाबंधन पर देशभर में सबसे पहले उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल को राखी बांधी गई।
पुजारी परिवार की महिलाओं ने ही इमिटेशन रत्न जड़ित मोरपंखी यह राखी बनाई है। चार फीट की यह राखी शैव और वैष्णव परंपरा के समन्वय का प्रतिनिधित्व कर रही है।
दरअसल, परम्परा के अनुसार, हिन्दुओं के सभी त्यौहारों की शुरुआत महाकाल मंदिर से होती है, चाहे होली हो या फिर दिवाली। रक्षाबंधन का पर्व भी सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर में मनाया जाता है। गुरुवार को रक्षाबंधन पर्व पर भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकाल को राखी अर्पित की गई।
भगवान शिव भगवान श्रीकृष्ण के आराध्य हैं। इसीलिए भगवान महाकाल को पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा बनाई गई चार फीट की मोरपंख की भगवान महाकाल को राखी बांधी गई है। इसके बाद श्रद्धालुओं ने भी भगवान महाकाल को राखियां अर्पित कीं।
सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया – आकाश पुजारी
महाकाल के दरबार के आकाश पुजारी ने खबर सत्ता से बातचीत के दौरान बताया कि रक्षाबंधन पर भगवान महाकाल को राखी बांधने के बाद सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया। मान्यता है कि श्रावण माह में उपवास करने के बाद रक्षाबंधन के दिन महाकाल के अर्पित किए गए लड्डू प्रसाद लेकर उपवास का समापन होता है।
बड़ी संख्या में भक्तों को प्रसाद मिल सके, इसके लिए सवा लाख लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया जाता है। रक्षाबंधन के मौके पर मंदिर में इन लड्डूओं का प्रसाद दिनभर श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले दो साल से महाकालेश्वर मंदिर में रक्षाबंधन पर्व प्रतीकात्मक रूप से मनाया जा रहा था, लेकिन इस बार कोरोना से संबंधित सभी प्रतिबंध समाप्त होने से यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।
मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण मास में जिस पुजारी परिवार की भस्म आरती हुई, श्रावणी पूर्णिमा पर उसी पुजारी परिवार द्वारा भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया है। इस बार श्रावण मास में पं. विजय पुजारी व समिति सदस्य पं. रामपुजारी के परिवार द्वारा भस्म आरती की गई और उन्हीं के द्वारा भक्तों के सहयोग से सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया।