पोर्ट ब्लेयर। चीन से जारी तनाव के बीच अमेरिका और भारत की दोस्ती के अलग अलग रंग भी नजर आ रहे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय सैन्य बेस पर पिछले दिनों अमेरिकी नौसेना का एंटी-सबमरीन युद्धक विमान पी-8 पोजेडॉन देखा गया। अमेरिका और भारत के बीच हुए रक्षा समझौते के तहत अमेरिकी विमान को यहां ईधन एवं अन्य सहयोग उपलब्ध कराया गया। अमेरिका और भारत 2016 में हुए समझौते के तहत एक-दूसरे के सैन्य विमानों को ईधन एवं अन्य सहयोग देते हैं।
हालांकि विश्लेषकों की मानें तो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से चल रहे तनाव के बीच अमेरिकी युद्धक विमान का भारतीय सैन्य बेस पर आना खास मायने रखता है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भारत कई देशों से सैन्य सहयोग बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है। बोइंग पी-8 एक मल्टी-मिशन एयरक्राफ्ट है। इसका इस्तेमाल एंटी-सबमरीन, एंटी-सर्फेस, इंटेलीजेंस, सर्विलांस और राहत एवं बचाव कार्यों में किया जाता है। पी-8 के दो वैरिएंट हैं। इनमें से पी-8आइ का इस्तेमाल भारतीय नौसेना करती है और पी-8ए पोजेडॉन का प्रयोग अमेरिकी नौसेना करती है।
हाल ही में भारतीय युद्धपोत आईएनएस तलवार ने पूर्व के रक्षा समझौते के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए उत्तरी अरब सागर में अमेरिकनौसेना के टैंकर यूएसएनएस यूकोन से ईंधन भरा था। यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत और ईंधन के लिए एक दूसरे के ठिकानों का इस्तेमाल करने और गहन सहयोग की इजाजत देता है। भारत ने फ्रांस, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ इसी तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। बीते जुलाई में भारतीय नौसेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तट पर अमेरिकी नौसेना के साथ सैन्य अभ्यास भी किया था।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव बरकरार है। दोनों देशों की सेनाओं ने अपने सैनिकों और सैन्य साजोसामान सीमा पर तैनात किए हैं। चीन अपनी सेना को पीछे हटाने को तैयार नहीं है। वहीं भारत का कहना है कि चीन इलाके को बदलने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने भी भारत के आरोपों पर मुहर लगाते हुए चीन को ऐसी कोशिशों से बाज आने को कहा है। अमेरिका का कहना है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति को अमली जामा पहनाने के लिए लद्दाख में ऐसी हरकतें कर रहा है।