मेरठ । कोरोना महामारी में पैदा हुआ ऑक्सीजन का संकट धीरे-धीरे खत्म हो गया है। नए ऑक्सीजन प्लांट लगने और आपूर्ति सुचारू होने से मेरठ में ऑक्सीजन की दिक्कत दूर हो गई है। अब ऑक्सीजन और सिलेंडर निर्माण पर भी सरकार मदद दे रही है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बड़ा चिकित्सा केंद्र होने के कारण मेरठ में आसपास के जिलों से भी गंभीर कोरोना मरीज मेरठ के अस्पतालों में भर्ती हुए। इसी कारण एलएलआरएम मेडिकल काॅलेज समेत निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन का संकट गहराता रहा। ऑक्सीजन की कमी के कारण अनेक लोगों की मौत हो गई। अस्पतालों और होम आइसोलेट कोरोना मरीजों के तीमारदार ऑक्सीजन के लिए परेशान रहे।
मेरठ मंडल के आयुक्त सुरेंद्र सिंह और मेरठ के जिलाधिकारी के. बालाजी के प्रयासों से अब मेरठ में ऑक्सीजन का संकट दूर हो गया है। इसका कारण अस्पतालों में खुद के ऑक्सीजन प्लांट लगना और आपूर्ति सुचारू होना रहा।
ऑक्सीजन की कालाबाजारी रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने अथक प्रयास किए। प्रदेश सरकार अब चीनी मिलों की सहायता के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोविड वार्ड और ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगवा रही है। इससे आने वाले समय में भी ऑक्सीजन की किल्लत नहीं रहेगी।
प्रदेश सरकार ने ऑक्सीजन उत्पादन और उससे जुड़ी सामग्री की इकाई लगाने वाले लोगों को कई प्रकार की छूट प्रदान की है। जिलाधिकारी के. बालाजी ने बताया कि आॅक्सीजन उपलब्धता व उससे जुड़े उपकरणों के उत्पादन की नई यूनिट लगाने वालों के लिए सरकार प्रोत्साहन नीति लाई है।
ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट से लेकर सिलेंडर निर्माण तक में सरकारी मदद दी जाएगी। इसके लिए कई उद्यमी आगे आ रहे हैं।
आयुक्त सुरेंद्र सिंह ने अस्पतालों को ऑक्सीजन वितरण की पारदर्शी व्यवस्था कराई और होम आइसोलेट मरीजों को भी सिलेंडर वितरण को पुख्ता बनाया। यही कारण रहा कि मेरठ में अब ऑक्सीजन का संकट खत्म हो गया है।
ऑक्सीजन आपूर्ति के नोडल अधिकारी अपर जिलाधिकारी नगर अजय तिवारी ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान 3679 ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की गई। इनमें से 3524 ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पतालों को और 155 ऑक्सीजन सिलेंडर होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को वितरित किए गए।