प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या में सजायाफ्ता की उम्र कैद की सजा को नौ साल की कैद में तब्दील कर दिया है। शेष अन्य सजा बहाल रखी है। उन्होंने कहा है कि पीड़िता की मां को मुआवजे के तौर पर दो लाख रुपए दिए जाएं। जो अपीलार्थी द्वारा तीन माह में जिला जज गौतमबुद्ध नगर के समक्ष जमा किया जायेगा।
कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त ने दी गई सजा से अधिक 11 साल 7 माह की कैद भुगत ली है। इसलिए उसे तत्काल रिहा किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने दादरी के जानू उर्फ जान मोहम्मद की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
7 मार्च 2010 को शाम 4 बजे अपीलार्थी काम से वापस घर लौटा तो देखा उसकी पत्नी खून से लथपथ घर में फर्श पर पड़ी थी। मायके वाले दूसरे दिन सुबह आये। जनाजा नमाज पढ़ी गई और दफना दिया गया। इसके बाद मृतका के भाई ने दहेज हत्या के आरोप में गौतमबुद्धनगर के दादरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ धारा 302, 201 व 498ए भारतीय दंड संहिता के तहत चार्जशीट दाखिल की।
सत्र अदालत ने अन्य आरोपियों राजू, कल्लू व फेमू को बरी कर दिया और अपीलार्थी को धारा 302 में आजीवन कैद व 20 हजार जुर्माना व अन्य धाराओं में कैद व जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा बगैर हत्या की मंशा के अचानक उत्तेजना में चोटें आयी।
कोर्ट ने कहा घटना का चश्मदीद गवाह नहीं है। परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कड़ियां नहीं मिलती। हत्या का दुराशय स्पष्ट नहीं है। इसलिए हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मानव वध का अपराध हुआ है।