पपीते की खेतीकर अच्छा मुनाफा बचा सकते हैं किसान : डॉ० अंकुर झा

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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औरैया । कृषि विज्ञान केंद्र परवाहा के विशेषज्ञों द्वारा जनपद के किसानों को पपीते की खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि जनपद के किसान पपीते की खेती कर अच्छा मुनाफा पा सकें।यह बातें गुरूवार को कृषि वैज्ञानिक केंद्र परवाहा के वैज्ञानिक डॉ० अंकुर झा जिले के किसानों से कही।

उन्होंने बताया कि, पिछले कुछ वर्षों से पपीता की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ रहा है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह हमारे देश का पांचवा लोकप्रिय फल है। यह बारहों महीने होता है, लेकिन यह फरवरी-मार्च से मई से अक्टूबर के मध्य विशेष रूप से पैदा होता है क्योंकि इसकी सफल खेती के लिए 10 डिग्री से 40 डिग्री तापमान उपयुक्त है। पपीता विटामिन ए और सी का अच्छा स्त्रोत है। विटामिन के साथ पपीता में पपेन नामक एंजाइम पाया जाता है जो शरीर की अतिरिक्त चर्बी को हटाने में सहायक होता है।

उन्होंने बताया कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के साथ ही पपीता सबसे कम दिनों में तैयार होने वाले फलों में से एक है जो कच्चे और पके दोनों ही रूपों में उपयोग होता है। इसका आर्थिक महत्व ताजे फलों के अतिरिक्त पपेन के कारण भी है, जिसका प्रयोग बहुत से औद्योगिक कामों (जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा उद्योग आदि) में होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र परवाहा के वैज्ञानिक डॉ० अंकुर झा ने किसानों को पपीता की खेती के लिए जागरूक कर उन्हें उसके लाभ बताए।

आने वाले समय में जिले में खेती का बढ़ सकता है रकबा

पपीते की खेती में लगने वाले कीट एवं रोगों की जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र परवाहा के पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ० अंकुर झा ने कीट एवं रोग प्रबंधन की जानकारी देते हुए बताया कि पपीते की खेती में विभिन्न प्रकार के कीट एवं रोगों का प्रकोप होता है। इसके नियंत्रण के लिए सरपंच समाज कृषि विज्ञान केन्द्र, परवाहा-औरैया के पौध संरक्षण से सम्पर्क करें।

मोजैक लीफ कर्ल विषाणु रोग

पपीते के पौधों में यह मुख्य रोग हैं। मोजैक लीफ कर्ल विषाणु रोग सफेद मक्खी के द्वारा पौधों में फैलता है। इससे ग्रसित पौधे की पत्तियां पीली होकर छोटी रह जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए पीले रंग का स्टकी ट्रैप का प्रयोग कर सकते हैं अथवा इम्डाक्लोप्रिड 8.0 मिली एवं इस्ट्रैप्टोसायक्लीन 2.5 ग्राम को/15 ली० पानी में घोलकर सायंकाल के समय छिड़काव करें अथवा नीम की खली पेड़ों की जड़ में डालकर नियंत्रण कर सकते हैं।

दीमक प्रबंधन

पपीते के पौधों की जड़ो में दीमक का प्रकोप होता है। इसके नियंत्रण के लिए कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड 08 किग्रा० प्रति एकड़ की दर से भूमि को शोधित करें।

माइट (लाल रंग की छोटी मकड़ियां)

यह मकड़ियां पत्ती एवं फलों से रस चूसकर बीमारी फैलाती हैं। इससे पौधे पीले पड़कर सूखने व मरने लगते हैं। इसके नियंत्रण के लिए डाइकोफॉल अथवा माइटीसाइड नामक दवा को 08 मिली/15 लीटर पानी में घोलकर सायंकाल के समय पौधों पर छिड़काव करें।

फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई)

यह एक छोटे प्रकार की मक्खी होती है जो फलों में डंक मारकर अण्डे देती है। जिससे फल अन्दर ही अन्दर सड़ने लगता है। इसकी रोकथाम के लिए डायमेथोएड अथवा एसीफेट नामक दवा को 08-10 ग्राम/15 लीटर पानी में घोलकर सांयंकाल के समय छिड़काव करें। अथवा फल मक्खी ट्रैप (गंध पाश यंत्र) के द्वारा भी नियंत्रण किया जा सकता है।

जड़ व तना सड़न, एन्थ्रेक्नोज/गोंद रिसाव रोग (गमोसिस)

इनके नियंत्रण में वोर्डोमिक्सचर 5:5:20 के अनुपात का पेड़ों पर सड़न गलन को खरोचकर लेप करना चाहिए। अन्य रोग के लिए व्लाईटाक्स 15-18 ग्राम या मेटलाक्सिल, 10 ग्राम को प्रति 15 लीटर में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए अथवा मैन्कोजेब या जिनेव 25-30 ग्राम को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

जीवाणु रोग (वैक्टीरियल लीफ्स स्पॉट)/एन्थ्रेक्नोज लीफ्स स्पॉट/अल्टरनेरिया लीफ्स स्पॉट

इस बीमारी से ग्रसित पौधों की पत्तियों एवं फलों में विभिन्न प्रकार के धब्बे बनने लगते हैं। जो हल्के भूरे रंग से पीले रंग के होते हैं। इस बीमारी का अत्यधिक प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियों एवं फलों में गलन व सड़न होने लगती है। इसके नियंत्रण के लिए बेबिस्टीन नामक दवा अथवा हैक्साक्लोनाजोल अथवा प्रोपिकोनाजोल अथवा थायोफेनेट मिथायल अथवा डाइफेनकोनाजोल इत्यादि दवाओं में से 25-30 ग्राम को 15 लीटर पानी में घोलकर सायंकाल के समय छिड़काव करें।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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