Friday, April 19, 2024
Homeसिवनीआखिर कब बंद होगा पॉलीथिन का उपयोग

आखिर कब बंद होगा पॉलीथिन का उपयोग

क्यों बंद नही की जा रही पॉलीथिन बनाने वाली फैक्ट्रियां!

आखिर कब बंद होगा पॉलीथिन का उपयोग

सिवनी । शहर में अमानक पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से जारी है। पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगाने की गरज से शहर में एक अभियान चलाया गया। नगर पालिका एवं जिला प्रशासन के द्वारा आज तक कोई कार्रवाई नही की गई। शहर में दुकानदारों ने ग्राहकों को पॉलीथिन में सामान देना आज भी जारी रखा है।

उल्लेखनीय है कि आम उपभोक्ता 40 माइक्रॉन से अधिक मोटाई की पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में हालात यह है कि हर कोई पॉलीथिन में सामान लिए नजर आ रहा है। दुकानदार भी ग्राहकों को पॉलीथिन में धड़ल्ले से सामान दे रहे हैं। पर्यावरण विद् समय समय पर शासन प्रशासन सहित पालिका चेताती अवश्य है कि 40 माइक्रॉन से कम मोटाई की पॉलीथिन का उपयोग पर्यावरण के लिए घातक है,लेकिन जनता तनिक भी जागृत नहीं हुई। रही सही कसर जिम्मेदार, अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर पूरी कर रहे हैं। नतीजा शहर में 100 प्रतिशत पॉलीथिन का उपयोग बेधड़क तरीके से हो रहा है।

मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है पॉलीथिन : अमानक पॉलीथिन का उपयोग मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए घातक है। चिकित्सकों की मानें तो नान बायोग्रेडेबल (जैविक विघटन न होने) श्रेणी में आने वाली पॉलीथिन सेहत की दृष्टि से भी घातक है। पॉलीथिन में मौजूद कार्सिनोजेन से एलर्जी व कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसके चलते ही पर्यावरण मंत्रालय ने 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके शहर में अमानक पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है।

उत्पादन पर भी लगे प्रतिबंध : नगरपालिका के लोगों का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय ने 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली पॉलीथिन के उपयोग पर तो प्रतिबंध लगा दिया है,लेकिन इसके उत्पादन पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई पहल नहीं की है,जिससे पर्यावरण मंत्रालय के पॉलीथिन प्रतिबंध पर प्रश्न चिन्ह लगना लाजिमी है। लिहाजा सरकार को ऐसी फैक्ट्रियों पर ताला डालना चाहिए,जहां 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली पॉलीथिन का निर्माण होता है। आम लोगों को भी पॉलीथिन का उपयोग कम करना चाहिए।

अमानक पॉलीथिन से नुकसान : अघुलनशील पॉलीथिन जल,वायु व मिट्टी के संपर्क में आकर हानिकारक रसायन छोडती है। यह लंबे समय तक मानव जीवन को प्रभावित करती है। खाने-पीने की चीजें,खासकर गर्म पॉलीथिन में रखे जाने से जहरीला तत्व विकसित हो जाता है। गर्म भोजन में हानिकारक कार्सिनोजेन व टासिन पैदा करते हैं। इससे एलर्जी व केंसर होता है। पानी के स्त्रोतों में पहुंचने से ऑसीजन की कमी हो जाती है और जलीय पर्यावरण बिगडता है। प्लॉस्टिक व पॉलीथिन जलने पर कार्बन व हाइड्रोजन निकलता है,जिससे वायु प्रदूषण होता है। पॉलीथिन खाने से गाय को गोमेड (गाय के पागल हो जाने जैसी स्थिति) का खतरा हो जाता है।

SHUBHAM SHARMA
SHUBHAM SHARMAhttps://shubham.khabarsatta.com
Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News