सिवनी, मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला, इन दिनों भीषण जल संकट से जूझ रहा है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत के साथ ही जिले में पेयजल की समस्या गहराने लगी है, और कई ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मच गया है। इसी संकट के समय मठ मंदिर समिति, सिवनी ने मानवता और सेवा का एक प्रेरणादायक कार्य करते हुए सिद्धपीठ के बोरवेल को आमजन के लिए खोल दिया है।
सिद्धपीठ मठ मंदिर का बोरवेल बना जीवनदायिनी आशा की किरण
मठ मंदिर समिति ने यह ऐलान किया है कि मंदिर परिसर में स्थित गहरे बोरवेल से हर जरूरतमंद नागरिक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक पानी प्राप्त कर सकता है। इस बोरवेल से न केवल मंदिर परिसर की आवश्यकता पूरी होती थी, बल्कि अब यह हजारों नागरिकों के लिए भी एक पेयजल स्रोत बन गया है।
यह निर्णय विशेष रूप से उस समय आया है जब जिले के कई इलाकों में सरकारी नल जल योजनाएं ठप पड़ी हैं, हैंडपंप सूख चुके हैं और टैंकरों पर निर्भरता बढ़ गई है।
मानव सेवा की प्रेरणा बनी मठ मंदिर समिति
मठ मंदिर समिति के अध्यक्ष श्रीमान पंडित रामकृष्ण तिवारी जी ने बताया, “हमारे लिए धर्म का अर्थ सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि जरूरतमंद की सहायता करना ही सच्ची पूजा है। जल संकट की इस घड़ी में हम जिलेवासियों के साथ हैं और हमारा बोरवेल हर किसी के लिए खुला रहेगा।”
समिति द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बोरवेल से पानी भरते समय किसी प्रकार की अव्यवस्था या भीड़भाड़ न हो, इसके लिए स्वयंसेवकों की टीम तैनात की गई है।
जल संकट की भयावहता और सरकारी प्रयासों की असफलता
इस वर्ष सिवनी में बारिश की मात्रा औसत से काफी अधिक रही, जिससे बाद भी राजनेताओं और अधिकारीयों की लापरवाही की वजह से जिले समेत 210 ग्राम वासियों को पानी की किलात हो रही है.
बिना भेदभाव के सभी नागरिकों के लिए सेवा
मठ मंदिर समिति ने यह स्पष्ट किया है कि धर्म, जाति, वर्ग, या समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। हर व्यक्ति जो पानी की आवश्यकता रखता है, मंदिर परिसर में आकर सम्मानपूर्वक पानी प्राप्त कर सकता है। यह कदम इस बात का प्रमाण है कि जब शासन तंत्र असफल हो जाए, तब समाज की संस्थाएं और धार्मिक संगठन आगे बढ़कर समाज की सेवा कर सकते हैं।
स्थानीय नागरिकों ने जताया आभार
स्थानीय नागरिकों और मोहल्लेवासियों ने मठ मंदिर समिति के इस कार्य की खुले दिल से सराहना की है।
श्रीमती कुसुम बाई, जो मंदिर के समीप की बस्ती में रहती हैं, कहती हैं –
“जब हमारे मोहल्ले में कई दिनों से नल नहीं आए है नहीं पता था पानी कहाँ से लाएं। मठ मंदिर का बोरवेल ही अब हमारा सहारा बन गया है। हम सभी समिति का आभार व्यक्त करते हैं।”
अन्य संस्थाओं के लिए उदाहरण बन सकती है यह पहल
मठ मंदिर समिति की यह पहल केवल सिवनी तक सीमित न रहकर पूरे राज्य और देश के लिए प्रेरणा बन सकती है। आज देशभर में हजारों धार्मिक स्थल, गुरुद्वारे, मस्जिदें, चर्च, आश्रम आदि हैं जहां स्वच्छ जल स्रोत मौजूद हैं। यदि इन संसाधनों का सदुपयोग किया जाए, तो जल संकट की मार झेल रही जनता को बड़ी राहत मिल सकती है।
जल ही जीवन है – इस विचार को सार्थक किया
“जल ही जीवन है” – यह वाक्य भले ही हम सभी ने बचपन से पढ़ा हो, परंतु मठ मंदिर समिति, सिवनी ने इसे व्यवहार में लाकर दिखा दिया है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि धार्मिक आस्था और सामाजिक सेवा एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। जब समाज में कहीं संकट आए, तो धर्मस्थल न केवल अध्यात्म का केंद्र बनें, बल्कि सेवा और सहयोग का माध्यम भी बनें।
स्थानीय प्रशासन और सरकार को लेना चाहिए सबक
जहां एक ओर धार्मिक संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं, वहीं प्रशासन और स्थानीय निकायों को भी चाहिए कि वे इस कार्य से प्रेरणा लें। केवल योजनाओं की घोषणा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि जमीन पर काम करना जरूरी है।
सामाजिक एकता और सेवा का अद्भुत उदाहरण
मठ मंदिर समिति, सिवनी ने जो कार्य किया है, वह वास्तव में भारतीय संस्कृति में निहित ‘सेवा परमो धर्मः’ के सिद्धांत का सजीव उदाहरण है। ऐसे प्रयास ही समाज में सकारात्मकता लाते हैं और मानवता को एक नई दिशा प्रदान करते हैं।
आज जब हर ओर संसाधनों की कमी और व्यक्तिगत हितों की होड़ है, मठ मंदिर समिति द्वारा उठाया गया यह कदम हमें एकजुटता, सेवा और सद्भाव की याद दिलाता है।