आधार के लिए बनाया दबाव, तो भरने होंगे एक करोड़ का जुर्माना और ….

SHUBHAM SHARMA
By
SHUBHAM SHARMA
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
4 Min Read

नयी दिल्ली : आधार नंबर के लिए अगर बैंक आैर टेलीकाॅम कंपनियां किसी पर दबाव बनाती हैं, तो उन्हें एेसा करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना देने के साथ ही 10 साल तक भी सजा हो सकती है. आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर केंद्र सरकार की आेर से अहम फैसला किया है, जिसमें अब किसी को भी बैंक खाता खुलवाने या सिम लेने के लिए आधार नंबर देना जरूरी नहीं है. यह ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर होगा. इतना ही नहीं, एेसा करने वाली कंपनियों के कर्मचारियों को तीन से 10 साल तक की सजा भी हो सकती है. 

इसके साथ ही, आधार जारी करने वाला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को अतिरिक्त शक्तियों के साथ उसकी नियामकीय भूमिका बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसके तहत प्राधिकरण के पास बायोमेट्रिक पहचान के दुरूपयोग पर कार्रवाई करने तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों तथा आंकड़ों में सेंध लगाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने का अधिकार होगा. एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निजी कंपनियों के आधार के उपयोग पर पाबंदी के फैसले के मद्देनजर मंत्रिमंडल ने यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ाने तथा नियमों का उल्लंघन होने पर कड़े सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के इरादे से सोमवार को आधार कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया. प्रस्तावित संशोधन शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन है. 

इसके साथ सिम कार्ड प्राप्त करने तथा बैंक खाता खोलने में आधार के स्वैच्छिक उपयोग को लेकर टेलीग्राफ कानून तथा मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) नियमों में संशोधन किया जायेगा. प्रस्तावित संशोधन को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जायेगा. आधार कानून में प्रस्तावित संशोधन श्रीकृष्ण समिति की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसने कहा था कि यूआईडीएआई को निर्णय लेने के मामले में न केवल स्वायत्तता होना चाहिए, बल्कि प्रवर्तन कार्रवाई के लिए अन्य नियमकों के समरूप शक्तियां होनी चाहिए. 

सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन यूआईडीएआई को नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिक शक्तियां प्रदान करेगा. प्रस्तावित बदलाव के तहत आधार कानून की धारा 57 को हटाया जायेगा. धारा 57 के तहत पूर्व में निजी इकाइयों के साथ डेटा साझा करने की अनुमति थी, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया. प्रस्तावित बदलाव की जानकारी देते हुए सूत्र ने बताया कि यूआईडीएआई आदेश के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने का प्रावधान होगा. टीडीसैट के खिलाफ अपील उच्चतम न्यायालय की जा सकेगी. 

इसमें यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि वह निर्देश जारी कर सके और अगर निर्देश का अनुपालन नहीं होता है, वह जुर्माना लगा सके. जो इकाइयां सत्यापन के लिए आधार का अनुरोध करेंगी, वह प्राथमिक रूप से दो श्रेणियों से जुड़ी होंगी. ये दो श्रेणियों में एक वो इकाइयां शामिल होंगी, जिन्हें संसद में बने कानून के तहत अधिकार मिला है और दूसरी वे इकाइयां जो राज्य के हित में काम कर रही हैं. इसके लिए नियम केंद्र यूआईडीआईएआई के परामर्श से बनायेगा. इस प्रकार का सत्यापन स्वैच्छिक आधार पर होगा. 

श्रीकृष्ण समिति ने आधार कानून में संशोधन का सुझाव दिया था, जिसमें सत्यापन या आॅफलाइन सत्यापन के लिए सहमति प्राप्त करने में विफल रहने पर जुर्माना शामिल है. इसमें तीन साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक जुर्माना शामिल है. इसके अलावा, मुख्य बायोमेट्रिक सूचना के अनधिकृत उपयोग के लिये 3 से 10 साल तक की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना का सुझाव दिया गया है.



Share This Article
Follow:
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *