पुलिस वाले भी अच्छे होते हैं

By SHUBHAM SHARMA

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सबसे पहले तो अपनी बचपन की सोच पर क्षमा चाहूंगी। बचपन में कितनी ही ऐसी फिल्म देखि जिनमे पुलिस वाले अच्छे रोल में नहीं होते थे।वो खलनायक की भूमिका निभाते थे।शायद तभी से मन में ये विचार घर कर गए थे की पुलिस वाले अच्छे इंसान नहीं होते।फिर जन्म भी यूपी में हुआ जहाँ कुछ चंद ही ऐसे पुलिस वाले थे जो बिना रिश्वत के अपना काम करते होंगे।जो भी हो मगर पुलिस को लेकर कुछ अच्छी छवि नहीं थी मेरे मन में।मगर एक दिन मेरी सोच मुझे गलत लगी।उस दिन कुछ ऐसा हुआ की पुलिस वालो के लिए दिल में इज़्ज़त बढ़ गयी ।और उस दिन मुझे लगा की पुलिस वाले भी अच्छे होते हैं।

बात 6 अक्टूबर 2014 की है जब मेरा दोस्त कश्मीर से छुट्टी आया था।दिन में ढाई बजे थे मेरी कोचिंग तीन बजे से होती थी।घर का सारा काम खत्म करके सब को लंच करने के बाद हर रोज की तरह मैं जल्दबाज़ी में ऊपर अपने कमरे में आई थी आते ही नजर घडी पर पड़ी ठीक 2 बज कर 35 मिनट हो रही थी।आज कहीं देर न हो जाये ,,मैं मन ही मन बड़बड़ा रही थी।मैं बस पूरीतरह तैयार ही थी अपना पर्स उठा कर जाने के लिए की तभी मेरा फ़ोन बज उठा ,नंबर देखा तो नीरज का था।

हेल्लो….मैंने मुस्कुराते हुए बोला था।

प्रीती मेरा एक्सीडेंट हो गया है ,काफी लग गयी है ,एक्टिवा भी टूट गयी है,क्या तुम आ सकती हो? नीरज की आवाज में दर्द साफ़ सुनाई दे रहा था। कैसे,क्या हुआ?ज्यादा लग गयी क्या?मेरा दिल बैठा जा रहा था ,जब से रोड एक्सीडेंट में अपने पापा को खोया एक्सीडेंट के नाम से साँसे थमने सी लगी थी मेरी। अरे पीछे से एक गाडी वाले ने मार दिया ,इतनी ज्यादा नहीं लगी मगर मुझे हेल्प की जरुरत है।प्रिंस चौक पर एक बाइक रिपेयरिंग वाली शॉप पर खड़ा हूँ,तुम आ पाओगी?

मैं ना भला कैसे कर सकती थी ।मैंने एक्टिवा उठाई और निकल पड़ी।कहने को 7 साल से मैं इस शहर में रहती हूँ मगर आज मैं कंफ्यूज थी की किस रस्ते से प्रिंस चौक पहुँचूँ।शायद मैं घबरा गयी थी ।अजीव सी बाते दिल में आरही थी।पूछते पूछते आधा रास्ता तय कर लिया था।फिर मुझे एक रोड क्रॉस करनी थी वहां कोई सिग्नल लाइट नहीं थी पुलिस के कुछ जवान हाथ से ही आने जाने की अनुमति दे रहे थे।काफी देर हो गयी थी मुझे मगर रोड खचाखच भरी थी और मैं सड़क पार नहीं कर पा रही थी।तभी उस पुलिस वाले ने मेरा चेहरा देखा जिस पर साफ़ नजर आ रहा था की मैं परेशां हूँ, और जल्दी जाना चाहती हूँ फिर मैंने अपने चेहरे के भावों से उसे बोला की मुझे जाने दीजिये।उसने भी बहुत जल्दी मेरी परेशानी भांप ली थी।तभी उसने पूरा ट्रैफिक वहीँ का वहीँ रोक दिया।और मुझे इशारा करते हुए कहा'””जाइये मैडम”।

मुझे उस वक्त लगा की रुक कर उसे बोलूं की आज तुम्हारी इस बात ने मेरी सालों की गलत फहमी दूर कर दी की पुलिस वाले सिर्फ खलनायक होते हैं।मगर मैं कुछ नहीं कह पाई बस मैंने गर्दन झुका कर और हल्का सा मुस्कुराकर उसे थैंक यू बोला और निकल पड़ी।

मगर उस दिन की उस पुलिस वाले की हेल्प ने मेरे सारे विचार बदल कर रख दिए थे। उस दिन यकीन हो गया की “पुलिस वाले भी अच्छे होते हैं

प्रीति राजपूत शर्मा

लेखक के बारे में : एक साधारण सी लड़की हूँ।एक जिम्मेदार बहु,पत्नी और माँ भी हूँ।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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