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📍स्थान: सिवनी-बालाघाट रोड, मध्यप्रदेश
🗓️रिपोर्ट: Khabar Satta | संवाददाता (एस. शुक्ला)
सिवनी-बालाघाट रोड की जर्जर हालत और जानलेवा गड्ढों ने आखिरकार प्रशासन को झकझोर दिया है।
एमपीआरडीसी (MPRDC) ने अब इन गड्ढों को भरने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन सवाल यह उठता है —
“क्या इतने हादसों के बाद ही प्रशासन को होश आता है?”
इस रोड की दयनीय स्थिति के कारण अब तक दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है।
बीते दिनों एमपीआरडीसी के ही एक वाहन की भीषण सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन सदस्य मौके पर ही दम तोड़ बैठे।
यह हादसा कोई पहला नहीं था — पिछले कई महीनों से यह रोड मौत का जाल बन चुका है।
⚠️ सड़क की हालत इतनी खराब कि सफर बन गया खतरा
सिवनी-बालाघाट रोड से गुजरना अब किसी रोमांचक यात्रा से नहीं, बल्कि मौत से खेलने जैसा हो गया है।
हर कुछ मीटर पर बने खतरनाक गड्ढे, टूटी साइड सोल्डर, और अंधेरी रातों में लाइटिंग की कमी – इन सबने सड़क को एक “डेंजर जोन” बना दिया है।
स्थानीय लोगों ने बार-बार शिकायतें कीं, धरने दिए, सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाई, मगर प्रशासन कछुआ चाल में ही चलता रहा।
🐢 फोरलेन का वादा बना मज़ाक – सालभर बाद भी D.P.R तक सीमित!
प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव ने करीब एक साल पहले सिवनी-बालाघाट रोड को फोरलेन बनाने की घोषणा की थी।
लेकिन यह घोषणा अब तक कागज़ों से बाहर नहीं निकली।
पूरा मामला D.P.R (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) की तैयारी में ही अटका हुआ है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि और नेताओं ने सोशल मीडिया पर वाहवाही लूटने के लिए कई पोस्ट जरूर कीं,
पर जमीनी हकीकत यह है कि सड़क की हालत दिन-ब-दिन और खराब होती जा रही है।
🗣️ लोगों का गुस्सा – “हादसे के बाद जागता है सिस्टम”
धारनाकला से लेकर बरघाट और सिवनी तक लोगों में गुस्सा साफ झलकता है।
स्थानीय निवासी राजेश नामदेव ने बताया –
“जब सड़क के गड्ढों ने इतने लोगों की जान ले ली, तब जाकर प्रशासन को मरम्मत याद आई। इससे पहले सब सो रहे थे।”
इसी तरह, एक अन्य ग्रामीण ने कहा –
“अगर फोरलेन का काम समय पर शुरू हो जाता, तो कई घर उजड़ने से बच जाते।”
🚦 बढ़ता ट्रैफिक, घटती सुरक्षा – हादसों की खुली किताब
सिवनी-बालाघाट रोड से रोज़ाना सैकड़ों ट्रक, बसें और निजी वाहन गुजरते हैं।
लेकिन सड़क की चौड़ाई कम और साइड सोल्डर टूटे हुए होने के कारण हर दिन नए हादसे सामने आ रहे हैं।
फोरलेन प्रोजेक्ट की देरी अब जनजीवन के लिए सीधी चुनौती बन चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए तो यह रोड प्रदेश की सबसे खतरनाक सड़कों में शुमार हो जाएगी।
🏗️ जनता की मांग – जल्द शुरू हो फोरलेन निर्माण, नहीं तो आंदोलन
ग्रामीणों और व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर फोरलेन का काम जल्द शुरू नहीं किया गया तो सड़क पर जनआंदोलन किया जाएगा।
लोगों का कहना है –
“अब हमें खोखले वादे नहीं, ठोस सड़क चाहिए।”
गड्ढे तो भर रहे, पर जवाबदेही अभी भी खाली!
भले ही MPRDC ने सड़क मरम्मत शुरू कर दी है,
लेकिन असली राहत तभी मिलेगी जब फोरलेन का काम हकीकत बनेगा।
सिवनी-बालाघाट रोड पर मौत का सिलसिला थमाने के लिए
राज्य सरकार और जनप्रतिनिधियों को जल्द ठोस कदम उठाने होंगे।

