सिवनी, मध्यप्रदेश — सिवनी जिला इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है। एक ओर लगातार बढ़ता तापमान लोगों की परेशानियों को बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर भीषण जलसंकट ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। आने वाले दिनों में को तापमान 40°C तक पहुंचने की संभावना है, जिससे हालात और गंभीर हो सकते हैं। जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 210 गांव और सिवनी नगर इस जल संकट से प्रभावित हैं।
जलसंकट की भयावहता: सिवनी के सैकड़ों गांवों में बूंद-बूंद को तरसे लोग
सिवनी नगर सहित आसपास के 210 गांवों में पानी की किल्लत से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। हैंडपंप सूख चुके हैं, कुएं जलशून्य हो चुके हैं और नलों में हफ्तों से पानी नहीं आ रहा। ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर दूर चलकर जाना पड़ रहा है।
अनेक गांवों में पानी के लिए झगड़े हो रहे हैं, महिलाएं और बुजुर्ग घंटों लाइन में लगकर टैंकर का इंतजार कर रहे हैं। यह हालात इस बात की ओर संकेत करते हैं कि सिवनी जिले में जल प्रबंधन की गंभीर कमी है।
तापमान में उछाल: लू का कहर और बीमारियों का डर
मौसम विभाग के अनुसार, सिवनी जिले में आने वाले दिनों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा सकता है। इस बढ़ते तापमान के साथ ही लू चलने का खतरा भी मंडरा रहा है। गर्मी के चलते बच्चों और बुजुर्गों के बीमार होने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को लू से बचने के लिए घरों में रहने और पानी अधिक मात्रा में पीने की सलाह दी जा रही है, लेकिन जब पानी ही उपलब्ध नहीं है, तो यह सलाह निरर्थक प्रतीत होती है।
प्रशासन और राजनैतिक पार्टियों के दावे बनाम जमीनी हकीकत
जिला प्रशासन और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा हर वार्ड, गली और मोहल्ले में पानी के टैंकर भेजने के दावे किए जा रहे हैं। परंतु हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।
नगर के कई वार्ड ऐसे हैं, जहाँ आज तक कोई भी पानी का टैंकर नहीं पहुंच पाया है। लोगों को बिना पानी के दिन बिताने पड़ रहे हैं। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने में लगे हैं, जबकि आम जनता प्यास से बेहाल है।
सवाल उठता है – सिवनी को जलसंकट में डालने वाला कौन है?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि सिवनी में ऐसा जल संकट क्यों उत्पन्न हुआ? क्या इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार है, जो समय रहते कोई स्थायी व्यवस्था नहीं कर सका, या फिर सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियाँ, जिन्होंने इस मुद्दे को केवल राजनीतिक हथियार बना कर छोड़ दिया?
पानी की योजना और वितरण प्रणाली में भारी खामियाँ नजर आ रही हैं। टैंकरों की आपूर्ति का कोई पारदर्शी सिस्टम नहीं है। कौन-सा वार्ड प्राथमिकता में है और कौन उपेक्षित, इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती।
जल प्रबंधन की असफलता और सरकारी उदासीनता
सिवनी में जल संरक्षण के लिए कोई ठोस नीति नहीं अपनाई गई है। हर साल गर्मियों में जल संकट गहराता है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कोई प्रयास नहीं होता। नदी-तालाबों की सफाई और गहरीकरण जैसे कार्य केवल फाइलों में सीमित रह जाते हैं।