SEONI JAL SANKAT: सिवनी नगर इन दिनों भीषण जल संकट से गुजर रहा है। हर गली, हर मोहल्ले में पेयजल की भारी किल्लत ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसी संकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के अंतर्गत नगर पालिका क्षेत्र में सभी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। इसके बावजूद नगर के बीचोबीच बरघाट नाका रेलवे रैक पॉइंट पर दो बड़े निर्माण कार्य तेजी से जारी हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासन के आदेशों की अवहेलना है, बल्कि न्याय व्यवस्था और समानता पर भी सवाल खड़े करती है।
जल संकट की भयावहता: नागरिक त्राहिमाम
सिवनी शहर में बीते एक सप्ताह से पेयजल की आपूर्ति चरमरा गई है। नगर पालिका के समस्त वार्डों में नलों में पानी आना बंद हो गया है, और टैंकर व्यवस्था भी अपर्याप्त साबित हो रही है। नागरिकों को दिन भर पानी के एक-एक बूँद के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। महिलाओं को कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है, जिससे शारीरिक और मानसिक थकावट दोनों बढ़ रही है।
कलेक्टर के आदेशों की धारा 163 : क्या सभी पर लागू नहीं होती?
जिला कलेक्टर द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत जारी प्रतिबंधात्मक आदेशों में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि नगर पालिका क्षेत्र और मास्टर प्लान क्षेत्र में सभी निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है। इसके अंतर्गत जल स्रोतों के उपयोग पर सख्त पाबंदी लगाई गई थी। बावजूद इसके बरघाट नाका रेलवे रैक पॉइंट पर निर्माण कार्य दिन-रात जारी हैं।
प्रश्न यह उठता है कि क्या यह धारा रेलवे परियोजनाओं पर लागू नहीं होती? क्या ठेकेदारों को विशेष छूट दी गई है? जब एक तरफ किसान, आम नागरिक, छोटे व्यापारी जल संकट से जूझ रहे हैं, तो दूसरी तरफ ठेकेदार खुलेआम पानी का उपयोग कर निर्माण कार्य में लगे हैं।
किसानों पर कार्रवाई, ठेकेदारों को छूट : दोहरी नीति क्यों?
उक्त आदेशों के तहत संजय सरोवर डूब क्षेत्र के किसानों की बिजली सप्लाई काट दी गई है, जिससे उनकी खेतों की फसलें सूखने लगी हैं। बिजली विभाग की टीम सुबह से ही सक्रिय रही और किसानों के विद्युत कनेक्शन काटे गए। इससे नाराज सैकड़ों किसान छपारा तहसील कार्यालय पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि या तो बिजली की सप्लाई बहाल की जाए, अन्यथा प्रशासन सूखती फसलों का मुआवजा दे।
इसी समय रेलवे परियोजना में पानी और बिजली दोनों का भरपूर उपयोग हो रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन द्वारा दोहरी नीति अपनाई जा रही है।
रेलवे निर्माण कार्यों में जल दोहन : आदेशों की अवहेलना की साक्ष्य
बरघाट नाका पर रेलवे द्वारा दो प्रमुख निर्माण कार्य तेजी से संचालित हो रहे हैं, जिनमें बड़े-बड़े टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति हो रही है। इस क्षेत्र में भूजल स्रोतों का अनियंत्रित दोहन हो रहा है, जिससे आसपास के इलाकों में पानी का स्तर और गिरता जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने कई बार प्रशासन को अवगत कराया है कि इन निर्माण कार्यों में धारा 163 का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। इसके बावजूद अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है, जो यह दर्शाता है कि नियम केवल आम नागरिकों के लिए हैं, ठेकेदारों पर उनका कोई प्रभाव नहीं।
राजनीतिक और प्रशासनिक चुप्पी : क्यों हो रहा है मौन समर्थन?
इतनी गंभीर स्थिति में भी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी संदेहजनक है। किसी भी स्थानीय विधायक, सांसद या नगर पालिका के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा जनता की समस्याओं पर कोई बयान नहीं आया। ना ही किसी अधिकारी ने रेलवे निर्माण कार्य की जांच की या उसे अस्थाई रूप से रोकने की पहल की।
यह मौन समर्थन इस ओर संकेत करता है कि ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ही आदेशों का उल्लंघन हो रहा है। यदि यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में सिवनी की जल समस्या और अधिक गंभीर रूप ले सकती है।
प्रशासन से सवाल : धारा 163 की विश्वसनीयता पर सवाल
जब प्रशासन ने अपने ही आदेश के तहत किसानों और छोटे नागरिकों पर तत्काल कार्रवाई की, तो फिर बड़े निर्माण कार्यों पर मौन क्यों? क्या नियम केवल आम जनता पर लागू होते हैं?
प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द रेलवे रैक पॉइंट पर हो रहे निर्माण कार्यों की जांच कर यह सुनिश्चित करे कि आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं। यदि नहीं, तो ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
यदि जिला प्रशासन को वाकई में जल संकट की गंभीरता का एहसास है, तो उसे हर नागरिक और संस्था पर एक समान नियम लागू करना चाहिए। केवल किसानों या आम नागरिकों पर आदेशों की मार न गिरे, बल्कि बड़ी कंपनियों और ठेकेदारों पर भी वही सख्ती दिखाई जाए। तभी जाकर सिवनी में जल संकट पर काबू पाया जा सकेगा और प्रशासन पर जनता का विश्वास बहाल होगा।