सिवनी, मध्यप्रदेश: प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सिंहवाहिनी मंदिर प्रांगण में फूलों की होली का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन 10 मार्च, सोमवार को सायंकाल 4 बजे से शुरू हुआ और इसमें नगर की अनेक महिलाओं ने बड़े हर्षोल्लास के साथ भाग लिया। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय संस्कृति एवं पारंपरिक होली उत्सव को जीवंत बनाए रखना है।
फूलों की होली: एक पारंपरिक आयोजन
सिवनी स्थित बारापत्थर क्षेत्र के सिंहवाहिनी मंदिर परिसर में विगत कई वर्षों से फूलों की होली का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष भी आयोजन का मुख्य आकर्षण श्रीकृष्ण एवं राधाजी की आराधना के साथ फूलों की रंग-बिरंगी होली रही।
- श्रद्धालु महिलाओं ने मंदिर परिसर में एकत्र होकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की।
- सभी ने गुलाब, गेंदा, बेला एवं अन्य पुष्पों से होली खेली।
- इस अवसर पर फाल्गुन गीतों की मधुर प्रस्तुति ने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा जी की वंदना एवं पूजन से हुई। इसके उपरांत, महिला मंडल द्वारा सुंदर नृत्य एवं भजन प्रस्तुतियां दी गईं। श्रीमती शकुंतला तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया, जिनकी ऊर्जा और समर्पण ने पूरे आयोजन को एक नया आयाम दिया।
- लोकगीतों एवं फाल्गुन गीतों की प्रस्तुति ने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया।
- महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में रंगारंग प्रस्तुतियां देकर माहौल को और जीवंत बना दिया।
- मंदिर प्रांगण फूलों की वर्षा से सुगंधित हो उठा और भक्तों में अद्भुत उत्साह देखने को मिला।
होली का उत्साह और आपसी सौहार्द
होली रंगों और भाईचारे का पर्व है और इस अवसर पर सभी धर्मप्रेमी मातृशक्ति ने एक-दूसरे को गुलाल एवं फूलों का तिलक लगाकर शुभकामनाएं दीं। पारंपरिक गीतों और नृत्य के साथ महिलाओं ने इस अवसर को और भी आनंदमय एवं यादगार बना दिया।
- कार्यक्रम में नगर की प्रमुख महिलाएं, समाजसेवी एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे।
- हर वर्ष की तरह इस बार भी आयोजन को भव्य तरीके से सम्पन्न किया गया।
- महिलाओं के बीच आपसी स्नेह एवं एकता का प्रतीक बना यह आयोजन सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहा।
प्रसाद वितरण एवं आयोजन का समापन
कार्यक्रम के अंत में सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम संयोजक श्रीमती शकुंतला तिवारी ने आयोजन में शामिल हुईं सभी मातृशक्तियों एवं उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया। सिवनी नगर में इस तरह के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों से न केवल भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार होता है, बल्कि समाज में आपसी भाईचारे और सद्भाव को भी बढ़ावा मिलता है।