सिवनी: परंपरागत खेती को घाटे का सौदा मानने वाले किसानों के लिए यह कहानी एक नई राह दिखाने वाली है। जिले के एक युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर शिवम तारण, जिन्होंने अपनी पढ़ाई और कॉर्पोरेट करियर को छोड़कर अपने पुश्तैनी खेतों से कुछ नया करने की ठानी। उनका उद्देश्य पारंपरिक खेती से होने वाले घाटे को मुनाफे में बदलना था और इसमें उनकी मदद की उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्कहरण विभाग की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना ने।
सिवनी विकासखण्ड के बखारी ग्राम के रहने वाले शिवम तारण का परिवार वर्षों से मक्का की खेती करता आ रहा था, लेकिन बाजार में फसल के सही दाम न मिलने के कारण खेती घाटे में जा रही थी। पारंपरागत तरीकों से उगाई गई फसल को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता था।
कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन के निर्देशानुसार सहायक संचालक उद्यान डॉ आशा उपवंशी वासेवार के मार्गदर्शन में शिवम तारण ने “प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नचयन योजना (पीएमएफएमई) का लाभ लेकर राशि फूड के नाम से पफ कार्न की इकाई स्थापित की। शिवम तारण बताते हैं कि उन्होंने उपरोक्त इकाई स्थापित करने के लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की पीएमएफएमई योजना अंतर्गत 9.40 लाख रुपये का अनुदान एवं यूको बैंक के माध्यम से 22.60 लाख रुपये का ऋण मिला है साथ ही विभाग द्वारा पफ कार्न व्यवसाय संबंधी तकनीकी व्यावसायिक सहायता भी मिली है।
शिवम यह भी बताते है कि आज से छह महीने पहले स्थापित हुई ‘राशी फूड’ फैक्ट्री में मुख्य रूप से मक्के से पफ कॉर्न का उत्पादन किया जाता है। खास बात यह है कि यह पफ कॉर्न तेल में तला नहीं जाता, जिससे यह एक हेल्दी स्नैक के रूप में पहचाना जाता है। शिवम ने मक्के से अलग-अलग 8 फ्लेवर में पफ कॉर्न बनाना शुरू किया, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ हर एक पैकेट में बच्चों के लिए खिलौने भी रखते हैं। इस अनूठे विचार ने बाजार में उनके उत्पादों की लोकप्रियता को तेजी से बढ़ाया।
आज ‘राशी फूड’ फैक्ट्री प्रतिदिन कई टन मक्के को प्रोसेस करती है और इससे तैयार उत्पाद देशभर में भेजे जाते हैं। इस पहल से न सिर्फ उनका खुद का मुनाफा बढ़ा, बल्कि आसपास के किसानों को भी फसल के बेहतर दाम मिलने लगे। इसके अलावा, इस यूनिट की स्थापना से शिवम ने 7 स्थानीय युवाओं को रोजगार भी दिया है, साथ ही वो स्वयं लगभग 1 लाख रुपये प्रति माह का मुनाफा भी कमा रहे हैं। इस यूनिट को लगाने में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्क रण विभाग के अधिकारियों ने हर कदम पर शिवम का साथ दिया।
शिवम की सफलता यह दर्शाती है कि पारंपरिक खेती को अगर सही तकनीक और सही योजना के साथ जोड़ा जाए, तो यह बेहद लाभकारी बन सकती है। सरकार की पीएमएफएमई योजना का सही उपयोग करके कोई भी किसान/युवा/बेराजगार/महिला खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी बन सकता है और खेती से आर्थिक क्रांति ला सकता है।
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा पीएमएफएमई योजना का सतत प्रचार-प्रसार कर बेरोजगार युवक युवतियों को स्वयं का व्यवसाय उद्योग स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित कर मार्गदर्शन किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आज जिले में 1 सैकड़े से ज्यादा युवक युवतियों ने अपना स्वयं का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित कर एक अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं साथ ही अन्य बेरोजगार युवक युवतियों को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं। पीएमएफएमई योजना के तहत सरकार के द्वारा छोटे-बडे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए परियोजना लागत की 35% वित्तीय सहायता दी जाती है, साथ ही बैंकों से ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है एवं उपरोक्त बैंक ऋण पर कृषि अधोसंरचना फंड के माध्यंम से सात साल के लिए 3% ब्याज अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है