सिवनी। जन्म तो सभी का होता है लेकिन अपना यह जन्म कल्याणक इसलिये नहीं बनता क्योंकि यह मरण के साथ जुडा है। जन्म मरण का चक्र हर संसारी प्राणी के साथ लगा है, भगवान का यह जन्म कल्याणक इसलिए बना कि अब वह जन्म अंतिम जन्म है।
अब इस जन्म में उसका मरण नहीं किंतु निर्वाण होगा, जिस निर्माण के बाद पुन: जन्म नहीं। जन्म तो जन्म है इसमें सेजीवन को पाया जाता है, उक्त उद्गार भगवान 1008 नेमीनाथ जिन पंचकल्याणक एवं विश्वशांति महायज्ञ के अवसर पर पधारे मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज ने पत्रकारवार्ता में व्यक्त किये।
मुनि श्री आदित्यसागर जी ने कहा कि जिन तरह किसी भी समाज में शादी को मान्यता तभी मिलती है जब शादी में संभा्रत लोग उपस्थित होते है, इसी तरह पंचकल्याणक भी पाषाण पत्थर से भगवान बनने की क्रिया है जो सभी के सहयोग से पत्थर में मंत्रोच्चारण के साथ की जाती है और तभी वह पूज्य होती है वैसे यह सिंद्धात को समझना चाहिए। कि भवान का जन्म नहीं होता जन्म तो शिशु का होता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि वर्तमान में बच्चों के हाथ में मोबाइल के दुश्परिणाम के लिए दोषी माता पिता है अगर वह बच्चों के प्रति कडाई बरतेंगे तो निश्चित ही उनके जीवन में परिवर्तन आयेगा। और सुधार भी आयेगा। संतों के राजनीति में आने को लेकर महाराजश्री ने कहा कि नेताओं का काम राजनीति करना है और संतो का काम समाज को अध्यात्म के साथ साथ जनचेतना जागृत करना है और जो जिस तरह है वह अपना दायित्व निभायेगें तो देश में शांति स्थापित होगी।
मुनि श्री ने कहा कभी भी पुराने मंदिर या प्रतिमाओं को तोड़कर नये निर्माण नहीं करना चाहिए बल्किी पुराने मंदिर का जीणोद्वार होना चाहिये, क्योंकि इन प्राचीन मंदिर को जिन्होंने बनाया है उसमें बनाने वाले व्यक्ति की भावना का समावेश होता है, और इस बात को सभी को समझना चाहिये।
इस अवसर पर महोत्सव के संयोजक सुदर्शन बाझल ने भी आयोजन को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी कार्यक्रम का संचालन संजय जैन ने किया इस अवसर पर विपनेश जैन ने सभी का परिचय दिया। कार्यक्रम में अखिलेश ठाकुर, शमीम खान, शेरू, विनोद यादव, श्याम सोनी, विपिन शर्मा, सतीश मिश्रा, लोकेश उपाध्याय, मनीष तिवारी, प्रदीप धोगड़ी, गोपाल चौरसिया, अजय राय, आरके सेंगर, शरद दुबे, जितेन्द्र ठाकुर, रवि सनोडिया, सहित अनेक लोग उपस्थित हुये।