- 76वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराना: एक गंभीर मुद्दा
सिवनी: छपारा स्थित आदिम जाति सहकारी समिति में 76वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने की घटना ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह संस्था, जो सरकार और सांसद निधि से वित्त पोषित है, वर्षों से लालपुर और छपारा में स्थापित है। बावजूद इसके, यहां के जवाबदारों ने इस राष्ट्रीय पर्व को मनाने की जरूरत नहीं समझी। यह घटना न केवल संवैधानिक मूल्यों का अपमान है, बल्कि सहकारिता क्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं को भी उजागर करती है।
लालपुर समिति का अस्तित्व खतरे में
लालपुर की आदिम जाति सहकारी समिति वर्षों से ग्राम पंचायत लालपुर के अधीन संचालित थी। हालांकि, हाल के वर्षों में कुछ कर्मचारियों ने अपने स्वार्थ और लाभ के लिए इस समिति का संचालन छपारा में स्थानांतरित कर दिया। लालपुर समिति, जो सहकारिता के रिकॉर्ड में दर्ज है, का नाम बदलकर ‘लालपुर छपारा’ कर दिया गया। यह स्थानांतरण न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि ग्रामीणों और किसानों के अधिकारों का हनन भी है।
धान खरीदी केंद्र का स्थानांतरण और किसानों की समस्याएं
लालपुर समिति की स्थापना के बाद से धान खरीदी केंद्र लालपुर में ही स्थित था। हालांकि, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने इसे छपारा में स्थानांतरित कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि लालपुर के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि कई किसानों ने मजबूरी में अन्य स्थानों, जैसे धोबी सर्रा और खामी केंद्र, पर धान बेचना शुरू कर दिया। किसानों के लिए यह समस्या कुचिया व्यापारियों द्वारा बढ़ाई गई है, जो किसानों के पंजीयन पर व्यापार कर रहे हैं।
राष्ट्रीय पर्व पर समारोह की उपेक्षा
राष्ट्रीय पर्व पर लालपुर में कोई कार्यक्रम आयोजित न करना इस बात को स्पष्ट करता है कि समिति के कर्मचारियों ने अपने कर्तव्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। नव नियुक्त समिति प्रबंधक की उपस्थिति के बावजूद, ध्वजारोहण का कार्यक्रम नहीं हुआ। ग्रामीणों और सरपंच ने इस बात पर रोष प्रकट किया कि समिति के कर्मचारी केवल औपचारिकता निभाने के लिए उपस्थित हुए थे।
छपारा कार्यालय में अनियमितताएं
छपारा स्थित कार्यालय को कर्मचारियों द्वारा अपनी जागीर बना लिया गया है। यहां बैंक और सहकारिता विभाग की अनदेखी में मनमाने ढंग से संचालन होता है। समिति का कार्यालय कभी भी खोला और बंद किया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के निजी स्वार्थों की पूर्ति करना है।
सहकारिता विभाग की उदासीनता
सहकारिता विभाग के उच्च अधिकारी, जो कई समितियों का संचालन करते हैं, इस स्थिति में मूकदर्शक बने हुए हैं। अधिकारियों की यह निष्क्रियता न केवल समिति की समस्याओं को बढ़ा रही है, बल्कि किसानों और ग्रामीणों के अधिकारों का भी हनन कर रही है।
राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण न करने की जवाबदेही
जहां देशभर में छोटे से छोटे कार्यालय और संस्थान राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण करते हैं, वहीं लालपुर छपारा की समिति में यह कार्यक्रम नहीं हुआ। यह सवाल उठता है कि जब हजारों किसान यहां खाद-बीज लेने आते हैं, तो फिर राष्ट्रीय पर्व पर इस स्थान को नजरअंदाज क्यों किया गया?
क्या होगी ठोस कार्रवाई?
इस पूरे मामले में प्रशासनिक अधिकारियों और संवेदनशील जिला कलेक्टर को हस्तक्षेप करना चाहिए। सहकारिता विभाग की अनियमितताओं और लालपुर समिति की समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
सरपंच साजिद बेग ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि लालपुर समिति के कर्मचारियों ने वहां आना बंद कर दिया है और इसका संचालन छपारा से ही किया जा रहा है।
लालपुर छपारा की आदिम जाति सहकारी समिति में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण न होना एक गंभीर समस्या है। यह घटना सहकारिता क्षेत्र की अनियमितताओं और कर्मचारियों की लापरवाही को दर्शाती है। प्रशासन को इस मामले में शीघ्रता से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा हो सके।