सिवनी: सिवनी जिले के कान्हीवाडा थाना प्रभारी ओमेश्वर ठाकरे की गौ तस्करी के मामलों में निष्पक्षता पर संदेह दिखाई पड़ता है. मध्यप्रदेश के कन्हीवाड़ा थाना में पदस्थ पुलिस अधिकारी श्री ओमेश्वर ठाकरे पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। स्थानीय नागरिकों और विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों ने उन पर गौ तस्करों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। शिकायतों के अनुसार, ठाकरे पर गौ तस्करों को संरक्षण देने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में लापरवाही बरतने का आरोप है।
स्थानीय संगठनों का आरोप: गौ तस्करों को मिल रहा संरक्षण
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के अनुसार, जब उन्होंने गौ तस्करी की सूचना पुलिस को दी, तो तस्करों पर कठोर कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस ने उल्टा संगठन के कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए। इससे स्थानीय हिंदू समुदाय में गहरी नाराजगी फैल गई है।
गौ रक्षा बनाम पुलिस प्रशासन की भूमिका
गौ रक्षा के मुद्दे पर पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पहले भी सवालों के घेरे में रही है, लेकिन इस बार मामला पुलिस अधिकारी की संदिग्ध भूमिका से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि ठाकरे गौ तस्करी से जुड़े गिरोहों के साथ सांठगांठ कर रहे हैं और उनके विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करने से बच रहे हैं।
सिवनी एसपी के पास शिकायत लेकर पहुंचा: विश्व हिन्दू परिषद् – बजरंग दल
इस मामले को लेकर विश्व हिन्दू परिषद् – बजरंग दल के पदाधिकारियों द्वारा सिवनी पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर सभी सबूत और जानकारी दी गयी और ओमेश्वर ठाकरे जैसे थाना प्रभारी जो गौ तस्करों का साथ देते है और गौरक्षकों पर फर्जी मामले दर्ज करते है ऐसे वर्दीधारियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग की है.
हिंदू संगठनों और स्थानीय जनता की मांग
- श्री ओमेश्वर ठाकरे के विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की जाए।
- गौ तस्करी में शामिल सभी लोगों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो।
- पुलिस प्रशासन को निष्पक्ष और पारदर्शी कार्यप्रणाली अपनानी चाहिए।
- भविष्य में ऐसे मामलों में कार्रवाई में देरी न हो और गौ रक्षा से जुड़े मामलों को प्राथमिकता दी जाए।
पुलिस विभाग की साख पर उठे सवाल
इस प्रकरण ने मध्यप्रदेश पुलिस विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अगर किसी पुलिस अधिकारी पर संगठित अपराधियों से मिलीभगत का आरोप लगता है और उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, तो यह कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।
यदि इन आरोपों में सच्चाई है, तो यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि समाज में अविश्वास और असुरक्षा की भावना को भी बढ़ावा देगा। इसलिए राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।