Seoni News: पेंच नेशनल पार्क से सटे ग्राम टुरिया, जो देशभर में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, यहाँ होटलों में काम करने वाले कर्मचारियों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है।
करीब 2000 से अधिक कर्मचारी इन होटलों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। होटल मालिक और प्रबंधक 12 से 14 घंटे तक कर्मचारियों से काम कराते हैं, जो कि श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है।
जब कोई कर्मचारी ड्यूटी के घंटे कम करने की बात करता है, तो उन्हें यह जवाब मिलता है कि “यह जंगल क्षेत्र है, यहाँ ऐसा ही होता है। यदि तुम्हें समस्या है तो इस्तीफा दे दो।”
श्रम कानूनों का उल्लंघन
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी गजट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी होटल में कर्मचारियों से सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम कराया जा सकता है और सप्ताह में एक अवकाश अनिवार्य है। इसके बावजूद, होटलों के मालिक और प्रबंधक मनमानी कर रहे हैं और कर्मचारियों से हद से ज्यादा काम कराया जा रहा है।
श्रम विभाग की निष्क्रियता
यह पहली बार नहीं है जब श्रम विभाग में शिकायत की गई हो। कुछ वर्ष पहले सिवनी कलेक्टर और ग्राम पंचायत को भी इस शोषण की जानकारी दी गई थी। जांच के बाद थोड़े समय के लिए हालात सुधरे और 9 घंटे काम कराया गया, लेकिन अब फिर से कर्मचारियों से 12 से 14 घंटे काम करवाया जा रहा है। यह स्थिति श्रमिकों के अधिकारों का हनन है और इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है।
न्यूनतम वेतन और पीएफ की अवहेलना
कई होटलों में कर्मचारियों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्रोविडेंट फंड (पीएफ) की सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। होटल मालिक यह कहकर पीएफ देने से इनकार कर देते हैं कि उनकी होटल इस दायरे में नहीं आती, जबकि हकीकत यह है कि वहां 20 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, जो श्रम कानूनों के अनुसार पीएफ के दायरे में आते हैं।
प्रशासन और सरकार से अपील
पेंच के इन होटलों में कर्मचारियों के शोषण को रोकने के लिए शासन और प्रशासन को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। श्रम कानूनों का सख्ती से पालन होना चाहिए और दोषी होटल मालिकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, इन कर्मचारियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना जरूरी है ताकि वे अपने हक के लिए आवाज उठा सकें।
होटलों में काम करने वाले कर्मचारियों के शोषण को तुरंत रोका जाना चाहिए। प्रशासन को मामले की जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इन कर्मचारियों को उनका हक मिल सके।