सिवनी: मंदिरों और घरों में लगी भगवत ध्वज देवताओ के अवतरण का माध्यम है, आज की शिक्षा पद्धति व्यावसायिक हो गयी है, हिन्दू हितों की रक्षा करना सरकारों का दायित्व है,देश का सर्वोत्तम स्वयं के उपभोग के लिए क्यो नही है।
उक्ताशय के ओजस्वी वक्तव्य दंडी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद इ महाराज ने दुर्गा चौक में आयोजित धर्मसभा में उपस्थित विशाल जनसमुदाय को दिए।
स्वामी श्री ने आज नगर के ह्रदय स्थल दुर्गा चौक प्रांगण में विशाला नामक धर्मध्वज की स्थापना कर उसे लहराया, इसके पूर्व श्री माता राजराजेश्वरी मंदिर तथा मारुति मंदिर, श्री बजरंग अखाड़ा तथा श्री महावीर व्यायामशाला की अगुवाई में दुर्गा चौक से विशाल शोभायात्रा प्रारम्भ हुई जिसमे अग्नि अखाड़ा पीठाधीश्वर श्री रामकृष्णनंद जी, ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानंद जी रथ में सवार थे जबकि स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी पैदल ही शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे
साथ ही कलशधारी महिलाएं, श्री महावीर व्यायामशाला का ध्वज और स्वयंसेवक कतारबद्ध थे वही श्री बजरंग अखाड़े की भव्य श्री हनुमत पालकी शामिल थी मारुति मंदिर भंडारे की भोग थाली गाजे बाजे के साथ श्री राम मंदिर शुक्रवारी के लिए रवाना हुई, श्री राम मंदिर में भोग अर्पण के बाद शोभायात्रा वापिस दुर्गा चौक आई मार्ग में अनेकों स्थान पर शोभायात्रा का स्वागत और प्रसाद की व्यवस्था श्रद्धालुओ द्वारा की गई थी।
द्विपीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज (ज्योतिर्मठ) ने धर्मपोदेश देते हुए कहा कि ध्वज भगवा ही नही लाल , पीला, नीला और हरे रंग का भी होता सकता है, यह भगवत ध्वज हिन्दू आत्मसम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक है इसे मंदिरों और घरों में अनिवार्य रूप से फहराना चाहिए क्योंकि यह संकेत होता है आकाश में विचरण करने वाले देवी देवताओं के अवतरण का माध्यम बनता है और वहाँ प्रभु की कृपा बरसती है, स्वामी श्री ने कहा कि जल्द ही यहाँ फहराई गयी धर्म ध्वज का प्रोटोकॉल निर्धारित किया जावेगा साथ ही सनातनी परम्परा में निर्वहन के किसी भी हिन्दू को कोई समस्या होगी तो 24 घण्टे के अंदर उसका शास्त्रीय निराकरण परम् धर्म संसद के माध्यम से किया जावेगा।
स्वामी श्री हजारो वर्ष पुरानी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का बखान करते हुए बताया कि राजा और रंक दोनों ही एक साथ शिक्षा ग्रहण करते थे एक सा ही भोजन पाते थे एक सी ही सेवा करते थे किंतु आज की शिक्षा प्रणाली पूर्णतः व्यावसायिक हो गयी है, जो बढ़िया पढ़ने वाले विद्यार्थीयो को विदेश कंपनियां अपने पास बुला लेती है जो सनातनी मानबिंदुओं के विपरीत है, स्वामी श्री ने कहा कि देश के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों को एक्सपोर्ट क्वालिटी के नाम पर विदेशो में सप्लाई कर दिया जाता क्या हम स्वयं के देश मे स्वयं की श्रेष्ठ चीजो का उपभोग और उपयोग नही कर सकते क्या ?
देश की सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए स्वामी श्री ने कहा कि सरकारे कह दे कि हम हिन्दू हितों की रक्षा नही कर सकते तो हम अपनी सरकार बना लेंगे