सिवनी ज़िले के डूंडा सिवनी थाना क्षेत्र में मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध एक सख्त और उल्लेखनीय कार्रवाई की गई। इस अभियान के अंतर्गत थाना पुलिस ने 6 धार्मिक स्थलों से कुल 14 लाउडस्पीकर हटाकर आम नागरिकों के हित में अनुकरणीय पहल की है। यह कदम उस स्थिति में उठाया गया जब लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि तेज ध्वनि के कारण छात्रों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को भारी असुविधा हो रही थी।
ध्वनि प्रदूषण: एक गम्भीर सामाजिक समस्या
आज के दौर में ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या बन चुका है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। विशेष रूप से धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक कार्यक्रमों, और राजनीतिक सभाओं में तेज आवाज़ के लाउडस्पीकरों का उपयोग न सिर्फ कानों को नुकसान पहुँचाता है बल्कि मानसिक तनाव, एकाग्रता में कमी और नींद में बाधा जैसे गंभीर प्रभाव भी डालता है।
डूंडा सिवनी थाना पुलिस की त्वरित कार्रवाई
डूंडा सिवनी थाना प्रभारी के नेतृत्व में यह कार्रवाई सोमवार को की गई, जिसमें थाना क्षेत्र के कुल 6 धार्मिक स्थलों से 14 ध्वनि विस्तारक यंत्र (लाउडस्पीकर) हटाए गए। पुलिस ने बताया कि पहले भी सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए थे, लेकिन कुछ स्थानों पर पुनः इन्हें अवैध रूप से स्थापित कर लिया गया था।
स्थानीय नागरिकों की ओर से लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर यह कठोर कदम उठाया गया। पुलिस ने बिना किसी भेदभाव के संबंधित स्थलों पर पहुँचकर लाउडस्पीकर हटाए और स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि दोबारा नियमों का उल्लंघन हुआ तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों और आम नागरिकों के हित में उठाया गया कदम
इस कार्रवाई का प्रत्यक्ष लाभ उन विद्यार्थियों को मिलेगा, जिनकी पढ़ाई लगातार तेज आवाज़ से बाधित हो रही थी। परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को शांत वातावरण की आवश्यकता होती है, और ध्वनि प्रदूषण के कारण उनकी एकाग्रता प्रभावित हो रही थी।
इसके अलावा बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बीमार व्यक्तियों के लिए भी यह पहल राहतकारी साबित होगी, जिन्हें तेज ध्वनि के कारण नींद, रक्तचाप, सिरदर्द और चिड़चिड़ेपन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
कानून और शासन के दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य
मध्यप्रदेश शासन द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार धार्मिक स्थलों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, और रिहायशी इलाकों में तेज ध्वनि में लाउडस्पीकर चलाना प्रतिबंधित है। “Noise Pollution (Regulation and Control) Rules, 2000” के तहत कोई भी व्यक्ति या संस्था निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि नहीं कर सकती।
डूंडा सिवनी थाना पुलिस ने इस कानून का पालन सुनिश्चित करते हुए एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसे अन्य थाना क्षेत्रों द्वारा भी अपनाया जाना चाहिए।
प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल
जहाँ डूंडा सिवनी थाना पुलिस ने तत्परता और जागरूकता का परिचय दिया, वहीं सिवनी कोतवाली सहित अन्य थाना क्षेत्रों की निष्क्रियता पर नागरिकों ने नाराज़गी व्यक्त की है। नागरिकों का कहना है कि यदि शासन के आदेश सभी के लिए समान हैं, तो कार्रवाई भी सभी क्षेत्रों में समान रूप से होनी चाहिए।
प्रशासनिक निष्क्रियता से यह संदेश जाता है कि कुछ क्षेत्रों में नियमों की अनदेखी हो रही है, जो कि न्याय और समानता के सिद्धांतों के विपरीत है।
धार्मिक स्थलों पर तकनीकी संतुलन की आवश्यकता
यह आवश्यक है कि धार्मिक स्थलों पर आस्था और श्रद्धा के साथ-साथ कानूनी मर्यादाओं और सामाजिक ज़िम्मेदारियों का पालन भी किया जाए। लाउडस्पीकर के उपयोग को नियंत्रित करते हुए ध्वनि सीमा का पालन करने की आवश्यकता है, ताकि न तो धार्मिक भावनाएँ आहत हों और न ही समाज के अन्य वर्ग प्रभावित हों।
धर्म का प्रचार-प्रसार शांति और सौहार्द के साथ होना चाहिए, न कि ध्वनि प्रदूषण के माध्यम से।
स्थानीय लोगों की सराहना और सहयोग
इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय नागरिकों, अभिभावकों, शिक्षकों और सामाजिक संगठनों ने डुण्डासिवनी थाना पुलिस की प्रशंसा की है। लोगों ने इसे आम जनजीवन के लिए राहतदायक कदम बताते हुए पुलिस को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
इस प्रकार की कार्रवाइयाँ तभी प्रभावी होंगी जब जनभागीदारी, जागरूकता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का संतुलन कायम रहेगा।
आवश्यक है सतत निगरानी और नियमित निरीक्षण
इस कार्रवाई के बाद भी स्थायी समाधान के लिए लगातार निगरानी जरूरी है। ऐसे मामलों में केवल एक बार की कार्रवाई पर्याप्त नहीं होती, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि कुछ समय बाद नियमों की अनदेखी होने लगती है।
इसलिए थाना पुलिस को चाहिए कि समय-समय पर निरीक्षण करते रहें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं भी नियमों का उल्लंघन न हो।
सकारात्मक प्रशासनिक पहल की दिशा में एक अहम कदम
डूंडा सिवनीथाना पुलिस की यह कार्रवाई ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। यह न केवल कानूनी दृष्टिकोण से उचित है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत आवश्यक थी। शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक शांति की रक्षा के लिए ऐसे कदम उठाना हर प्रशासन की जिम्मेदारी है।
हमें आशा है कि इस तरह की कार्रवाई अन्य थाना क्षेत्रों में भी की जाएगी और मध्यप्रदेश को एक शांतिपूर्ण और ध्वनि प्रदूषण मुक्त राज्य बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।