चार साल पहले चाय पान की दुकान वाले से रिश्वत लेने वाले स्वास्थ्य विभाग के लिपिक को माननीय न्यायालय ने सजा सुनायी है।
सिवनी । दुकान के लाईसेंस के नाम पर रिश्वत माँगने वाले स्वास्थ्य विभाग के जिन लिपिक को लोकायुक्त की टीम ने जिला चिकित्सालय के मुख्य गेट के पास की एक चायपान की दुकान के पास 10 हजार रुपये लेते हुए 23 जून 2015 को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी को जिला सिवनी के विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के न्यायालय ने जिले के एक और भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनायी है।
मीडिया सेल प्रभारी मनोज सैयाम ने बताया कि संदीप शर्मा निवासी लखनादौन द्वारा 29 मई 2015 को पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त जबलपुर में लिखित शिकायत की गयी थी कि उनकी लखनादौन पेट्रोल पंप के पास दवाई की दुकान है। सन 2014 में दुकान खोलने के लिये खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग सिवनी द्वारा लाईसेंस जारी किया गया था।
संदीप शर्मा ने बताया था कि उक्त लाईसेंस को जारी रखने के लिये विभाग के औषधि निरीक्षक अजीत जैन एवं नीलकण्ठ कहाते (नमूना सहायक) उन्हें डरा धमका कर 30,000 की रिश्वत की माँग कर रहे थे। इस पर उनके द्वारा अजीत जैन औषधि निरीक्षक एवं नीलकण्ठ कहाते (नमूना सहायक) को रिश्वत के 20,000 रूपये पूर्व में दिये जा चुके थे, शेष 10,000 रूपये न देने के कारण अजीत जैन औषधि निरीक्षक द्वारा 23 मई 2015 को आदेश जारी कर उनकी दुकान 10 दिन के लिये बंद करवा दी गयी थी। इसके बाद वे अजीत जैन एवं नीलकण्ठ कहाते से मिले थे तब वे लोग शेष 10,000 रुपये की माँग कर रहे थे। लोकायुक्त पुलिस जबलपुर द्वारा प्राथमिक अपराध दर्ज कर आरोपी गणों को रंगे हाथ पकड़ने के लिये अग्रिम कार्यवाही की गयी।
अस्पताल के मेन गेट के पास खड़ी थी लोकायुक्त की टीम : ट्रेप दल द्वारा 23 जून 2015 को जिला अस्पताल सिवनी के मुख्य द्वार के पास चाय दुकान के सामने प्रार्थी संदीप शर्मा से नीलकण्ठ कहाते द्वारा रिश्वत की राशि 10,000 रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। लोकायुक्त पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर बताया गया कि रिश्वत की राशि अजीत जैन के लिये ली गयी थी। लोकायुक्त पुलिस द्वारा मौके पर समस्त कार्यवाही कर नीलकण्ठ कहाते तथा अजीत जैन को गिरफ्तार किया गया था।
संपूर्ण विवेचना पश्चात लोकायुक्त पुलिस जबलपुर द्वारा न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया था जिस पर न्यायालय द्वारा आरोपी अजीत जैन के विरूद्ध शासन द्वारा अभियोजन स्वीकृति प्रदान न किये जाने पर उसके विरूद्ध आरोप विरचित नहीं किया गया केवल नीलकण्ठ कहाते के विरूद्ध आरोप विरचित किये गये।
इसकी सुनवायी राजर्षि श्रीवास्तव विशेष सत्र न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सिवनी की न्यायालय में की गयी। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक दीपा मर्सकोले जिला अभियोजन अधिकारी सिवनी के द्वारा गवाह और सबूत पेश किये गये जिस पर न्यायालय द्वारा आरोपी नीलकण्ठ कहाते को दोषी पाते हुए धारा-7 में तीन वर्ष एवं 5000 रुपये जुर्माना तथा धारा -13(1)(डी), 13(2) भ्रष्टाचार अधिनियम में 04 वर्ष के कारावास एवं 5000 रुपये जुर्माना की सजा से दण्डित किया गया है।