सिवनी: सिवनी जिले के बस स्टैंड क्षेत्र के पीछे भगत सिंह वार्ड (घनी आबादी वाले इलाके) में मोबाइल टावर स्थापित करने को लेकर स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। पहले से ही इस क्षेत्र में जिओ (Jio) कंपनी का एक टावर स्थापित था, लेकिन अब उसी के ठीक बगल में एयरटेल (Airtel) कंपनी का एक और टावर लगाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इससे रेडिएशन (Radiation) का खतरा दोगुना हो गया है, जिससे वहां रहने वाले लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
भगत सिंह वार्ड क्षेत्र के स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब से इस क्षेत्र में दूसरा टावर लगाय जा रहा है तभ इसे यहाँ के लोगों द्वारा लगातार ही इसका विरोध किया जा रहा है. स्थानीय लोगों द्वारा नगरपालिका सिवनी में आवेदन दिया गया जिसके बाद नगरपालिका से स्थानीय निवासियों को जानकारी मिली की नगरपलिअक सिवनी द्वारा परमिशन नहीं दी गयी है और उन्हें परमिशन कलेक्टर कार्यालय द्वारा मिली है.
इसके बाद स्थानीय निवासियों द्वारा सिवनी कलेक्टर के समक्ष भी जाया गया लेकिन कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से ना लेते हुए लोगों को वापस भेज दिया. जिसके बाद भी स्थानीय निवासियों द्वारा जनसुनवाई में घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में टावर ना लगाया जाये इसका आवेदन दिया किन्तु जन सुनवाई से भी उन्हें सिर्फ आवेदन लेकर पहुंचा दिया गया. किसी प्रकार की कोई कार्यवाही उनके द्वारा नहीं की गयी.
इसके बाद उन्होंने बताया कि सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन के पास भी स्थानीय निवासी अपनी समस्या को लेकर पहुंचे जहाँ दिनेश राय मुनमुन द्वारा तत्काल टावर के काम को रोकने के लिए नगरपालिकाअध्यक्ष को कहा गया साथ ही किसी अधिकारी को कॉल किया गया किन्तु स्थानीय निवासियों का कहना है कि विधायक दिनेश राय मुनमुन के कॉल के बाद भी टावर का काम नहीं रुका.
स्थिति यह है कि आम जनता अपनी परेशानी के लिए सिर्फ नगरपालिका से कलेक्टर कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय से विधायक के पास चक्कर लगा रही है पर उन्हें किसी भी प्रकार का कोई समाधान नहीं मिल रहा है.
मोबाइल टावर से बढ़ता रेडिएशन का खतरा
आज के समय में मोबाइल टावर की जरूरत से कोई इंकार नहीं कर सकता, लेकिन जब ये घनी आबादी वाले क्षेत्रों में लगाए जाते हैं, तो इनके दुष्प्रभाव भी उतने ही गंभीर हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल टावरों से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) लंबे समय तक संपर्क में रहने पर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। यह खासकर बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और हृदय रोगियों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) भी इस बात की पुष्टि कर चुका है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन का अधिक मात्रा में संपर्क मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकता है।
स्थानीय लोग क्यों कर रहे हैं विरोध ?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि:
- रेडिएशन का स्तर पहले ही एक टावर के कारण बढ़ा हुआ था, अब दूसरे टावर के लगने से यह और अधिक खतरनाक हो सकता है।
- जिस जगह यह टावर लगाया जा रहा है, वह एक अवैध कॉलोनी बताई जा रही है। यदि कॉलोनी अवैध है तो वहां मोबाइल टावर लगाने की अनुमति किसने और कैसे दी?
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: आसपास रहने वाले लोगों को पहले से ही सर दर्द, नींद की समस्या, थकावट और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- सरकार और प्रशासन की अनदेखी: लोग लगातार प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
क्या अवैध कॉलोनी में टावर लगाना उचित है?
यह सवाल सबसे बड़ा है कि यदि कॉलोनी अवैध है तो वहां मोबाइल टावर स्थापित करने की अनुमति कैसे मिल गई? आमतौर पर किसी भी मोबाइल टावर को लगाने के लिए नगर निगम, नगर पालिका, टेली कम्युनिकेशन विभाग और पर्यावरण विभाग से स्वीकृति लेनी होती है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और नगर पालिका की मिलीभगत से यह टावर लगाया जा रहा है।
- क्या नगर निगम ने इस इलाके को वैध घोषित कर दिया है?
- क्या टावर लगाने से पहले स्थानीय लोगों की सहमति ली गई थी?
- क्या मोबाइल कंपनियों ने सुरक्षा मानकों और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया था?
यह सभी सवाल स्थानीय प्रशासन की गंभीर अनदेखी की ओर इशारा कर रहे हैं।
मोबाइल टावर से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन से हो सकने वाली स्वास्थ्य समस्याएं:
✔ मस्तिष्क पर प्रभाव: लगातार रेडिएशन के संपर्क में रहने से याददाश्त कमजोर हो सकती है और ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है।
✔ नींद न आने की समस्या (इंसोम्निया): रेडिएशन के कारण मस्तिष्क की तरंगों पर प्रभाव पड़ता है, जिससे नींद की समस्या बढ़ जाती है।
✔ हृदय रोग का खतरा: शोध बताते हैं कि रेडिएशन हृदय की धड़कन को असंतुलित कर सकता है और इससे हाई ब्लड प्रेशर और अन्य हृदय रोग हो सकते हैं।
✔ बच्चों पर असर: मोबाइल टावरों का रेडिएशन बच्चों के न्यूरोलॉजिकल विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनमें सीखने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
स्थानीय लोगों की मांगें और समाधान
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन के सामने अपनी कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं:
🔹 मोबाइल टावर को घनी आबादी वाले क्षेत्र से हटाया जाए।
🔹 स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस क्षेत्र में रेडिएशन का स्तर जांचा जाए।
🔹 यदि कॉलोनी अवैध है तो वहां टावर लगाने की अनुमति क्यों दी गई, इसकी जांच हो।
🔹 सरकार इस क्षेत्र को वैध घोषित करे या फिर यहां मोबाइल टावर लगाने पर रोक लगाए।
क्या किया जा सकता है?
- मोबाइल टावर को घनी आबादी से दूर लगाना चाहिए।
- सख्त नियम बनाए जाएं ताकि मोबाइल कंपनियां बिना जनहित की परवाह किए टावर न लगा सकें।
- रेडिएशन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाए ताकि लोग जान सकें कि रेडिएशन स्तर कितना है।
- लोगों को इस विषय में जागरूक किया जाए कि वे अपने अधिकारों की रक्षा कैसे कर सकते हैं।
सिवनी जिले के बस स्टैंड क्षेत्र के पीछे एक घनी आबादी वाले इलाके में दो मोबाइल टावरों के कारण बढ़ते रेडिएशन को लेकर स्थानीय लोगों की चिंताएं पूरी तरह जायज हैं। सरकार और प्रशासन को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों की सेहत को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे।
यदि सरकार, प्रशासन और मोबाइल कंपनियां इस समस्या का समाधान नहीं करती हैं, तो स्थानीय नागरिकों का आंदोलन और तेज हो सकता है। लोगों को अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के लिए जागरूक होने की जरूरत है।