ध्यान दीजिए सीएम साहब: सिवनी में 38 करोड़ की लागत के सांदीपनि विद्यालय में सैकड़ों विद्यार्थी टाट-पट्टी पर बैठने को मजबूर

Look CM sahab, the ground reality of Sandipani Vidyalaya in Seoni: Despite the expenditure of 38 crores, hundreds of students are forced to sit on mats

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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देखिये देखिये सीएम साहब सिवनी में सांदीपनि विद्यालय की जमीनी हकीकत: 38 करोड़ की लागत के बाद भी सैकड़ों विद्यार्थी टाट-पट्टी पर बैठने को मजबूर

सिवनी, छपारा: जब सरकारें शिक्षा में क्रांति का दावा करती हैं और आधुनिक विद्यालय की परिकल्पना पर करोड़ों रुपये खर्च करती हैं, तब आम जनता की उम्मीदें और भी बढ़ जाती हैं। लेकिन जब हकीकत इसके एकदम उलट हो, तो वह न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी आईना दिखाती है।

38 करोड़ की लागत, फिर भी बच्चे फर्श पर

मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के छपारा नगर में तैयार किया गया सांदीपनि विद्यालय, जिसे प्रदेश सरकार ने सीएम राइज स्कूल के रूप में प्रचारित किया, आज अपने ही दावों को झुठला रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस विद्यालय पर लगभग 38 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। स्कूल को नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई के लिए विकसित किया गया है, और इसमें 2000 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस भव्य इमारत के भीतर 600 से अधिक छात्र अब भी टाट-पट्टी पर फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह स्थिति सवाल खड़े करती है — क्या सरकार ने केवल ईंट-पत्थरों पर ध्यान दिया और बच्चों की मूलभूत आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर दिया?

फर्नीचर के अभाव में प्रभावित होती पढ़ाई

सरकारी दस्तावेजों और शिक्षा विभाग के बयानों में इस विद्यालय को “आधुनिक और सर्वसुविधायुक्त” बताया गया है, लेकिन कक्षाओं में बेंच-डेस्क की भारी कमी इसका दूसरा चेहरा उजागर करती है। छठवीं, सातवीं और नवमीं कक्षा के छात्र सबसे अधिक प्रभावित हैं। वे रोज़ाना घंटों तक फर्श पर बैठने को विवश हैं, जिससे न केवल उनका शारीरिक विकास प्रभावित होता है बल्कि उनकी एकाग्रता और सीखने की क्षमता भी बाधित होती है।

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर

फर्श पर बैठकर पढ़ाई करना बच्चों की रीढ़ की हड्डी, आंखों और मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है। छोटे बच्चों के लिए आरामदायक बैठने की व्यवस्था न होना एक अनदेखी नहीं, अपराध के बराबर है। क्या यही है वह “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” जिसकी बात सरकार बार-बार मंचों से करती है?

प्रशासन और शिक्षा विभाग की जवाबदेही तय होनी चाहिए

इतनी बड़ी लागत वाली योजना में यह लापरवाही कैसे और क्यों हुई? क्या शिक्षा विभाग ने समय रहते फर्नीचर की आपूर्ति की प्रक्रिया नहीं अपनाई? क्या जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस विद्यालय की स्थिति से अनजान थे? या फिर जानबूझकर इस गंभीर स्थिति को नजरअंदाज किया गया?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, शिक्षा मंत्री, जिले के प्रभारी मंत्री, और सिवनी कलेक्टर — क्या ये सभी इस गंभीर खामी की जिम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं?

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी – क्यों?

इस विद्यालय का उद्घाटन जब हुआ था, तब कई विधायक, सांसद, और अधिकारी मंच साझा कर रहे थे। लेकिन आज जब बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, तब वे सभी चुप क्यों हैं? क्या फोटो खिंचवाना ही जिम्मेदारी की अंतिम सीमा है? क्या उन्होंने कभी विद्यालय का मुआयना किया? क्या वे बच्चों से मिलकर उनकी तकलीफें सुनने गए?

क्या नाम बदलना ही शिक्षा सुधार है?

सीएम राइज स्कूल योजना को लेकर सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे — स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरी, आधुनिक प्रयोगशाला, खेल के मैदान, और पूर्ण सुविधा संपन्न परिसर। लेकिन जब बेंच और डेस्क जैसी मूलभूत चीजें तक उपलब्ध नहीं हैं, तो फिर यह आधुनिकता किस काम की?

क्या सिर्फ नाम बदल देने से विद्यालय का स्तर बढ़ जाएगा? क्या सीएम राइज स्कूल का मतलब केवल चमकदार बिल्डिंग है?

कागजों में आधुनिक, ज़मीन पर दयनीय हालात

सांदीपनि विद्यालय की मौजूदा स्थिति यह दर्शाती है कि योजनाएं केवल कागजों पर ही पूर्ण हैं। जमीन पर सच्चाई दुखद और चिंताजनक है। सरकारी दस्तावेजों में यह स्कूल पूरी तरह सुसज्जित बताया गया है, जबकि वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है।

क्या बच्चों की शिक्षा से ज्यादा ज़रूरी कुछ और है?

जब हम ‘शिक्षित भारत – सशक्त भारत’ की बात करते हैं, तो उसकी नींव अच्छे स्कूलों में ही रखी जाती है। लेकिन जब करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद भी बच्चे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हों, तो यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं?

अब ज़रूरत है जवाबदेही की, सुधार की नहीं केवल घोषणाओं की

इस मामले में तत्काल जांच और कार्रवाई होनी चाहिए। यदि फर्नीचर आपूर्ति में घोटाला हुआ है तो संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह सभी सीएम राइज स्कूलों का ऑडिट कराए और देखे कि क्या वहां वाकई सुविधा उपलब्ध है या केवल योजनाओं के नाम पर खेल चल रहा है।

समाप्ति पर एक सवाल – क्या बच्चों का भविष्य ऐसे ही संवर पाएगा?

हम सबको मिलकर इस शिक्षा व्यवस्था की खामियों के खिलाफ आवाज उठानी होगी। मीडिया, नागरिक समाज, जनप्रतिनिधि और स्वयं सरकार को यह सोचना होगा कि बच्चों के भविष्य से समझौता किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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