मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नई राजस्व नीति लागू की गई हैं।
जिसके अनुसार धारा 104 के तहत पटवारी हल्कों का निर्माण और धारा 105 के तहत राजस्व निरीक्षक मंडल के निर्माण का अधिकार कलेक्टर से वापस लेकर आयुक्त भू अभिलेख को दिया गया।
नामांतरण पंजी ब्यवस्था समाप्त, सारे प्रकरण तहसीलदार न्यायालय में जमा होंगे।
जब तक आदेश की कॉपी और अभिलेख सुधार की कॉपी आवेदक को नहीं मिलती प्रकरण समाप्त नहीं होगा।
रजिस्ट्री रजिस्टार से सीधे तहसीलदार को भेजी जाएगी भूमि स्वामी किसी को नहीं देगा।
जिले मे पटवारी की पोस्टिंग अनुविभागीय अधिकारी से न होकर कलेक्टर द्वारा की जाएगी।
धारा 59 के तहत भू राजस्व का भूमिस्वामी स्वयं निर्धारण जमा करेगा।
धारा 172 शून्य कर दी गई है। धारा 172 शून्य हो जाने से डायवर्सन के प्रचलित सारे प्रकरण समाप्त हो जाएगे नियम बनाया गया।
आवेदक तहसीलदार की कार्यवाही से ब्यथित होकर अनुविभागीय अधिकारी को सुनवाई (अपील)का आवेदन 45 दिन के भीतर देगा।
सीमांकन मे सुनवाई तहसीलदार करेंगे और सीमांकन केवल राजस्व निरीक्षक द्वारा किया जाएगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्री सब-रजिस्टार तहसीलदार को सीधे भेजेंगे आवेदक नहीं लाएगा। उसके बाद ईश्तहार और क्रेता बिक्रेता आहूत होंगे
पूरी कर्यवाही 30 दिन मे होगी 60दिन के भीतर आदेश की कॉपी और अभिलेख सुधार का खसरा, किस्तबंदी (बी 1) प्रदाय करने बाद ही प्रकरण समाप्त किया जाएगा और दाखिल दफ्तर होगा।
सीमांकन की अपील और रिविजन की ब्यवस्था नहीं होगी। रेवेन्यू बोर्ड से सारे प्रकरण वापस अनुविभागीय अधिकारी को आएगे।