खेतों में नरवाई को कदापि न जलायें, पर्यावरण एवं जनजीवन को बचायें – सिवनी कलेक्टर क्षितिज सिंघल

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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सिवनी: कलेक्टर क्षितिज सिंघल एवं उप संचालक कृषि श्री मोरिस नाथ ने कृषक बंधुओं से फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को न जलाने की अपील की है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण होने के साथ ही मृदा स्वास्थ्य एवं जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

फसल अवशेष जलाने से वातावरण में कार्बन डाईऑक्साईड, मिथेन, कार्बन मोनोऑक्साईड आदि गैंसों की मात्रा बढ़ जाती है।

मृद्रा की सतह का तापमान 60-65 डिग्री सेन्टीग्रेट हो जाता है, ऐसी दशा में मिट्टी में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु जैसे-वैसीलस सबटिलिस, स्यूडोमोनास, ल्यूरोसेन्स, एग्रोबैक्टीरिया, रेडियाबैक्टर, राइजोबियम प्रजाति, एजोटोबैक्टर प्रजाति, एजोस्प्रिलम प्रजाति सेराटिया प्रजाति, क्लेब्सीला प्रजाति, वैरियोवोरेक्स प्रजाति आदि नष्ट हो जाते है।

ये जीवाणु खेतो में डाले गये खाद एवं उर्वरक को तत्व के रूप में घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते है। अवशेषों को जलाने से ये सभी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते है।

इन्ही सूक्ष्म जीवों के नष्ट हो जाने से खेतों में समुचित रूप से खाद एवं उर्वरकों की आपूर्ति पौधों को न हो पाने के करण उत्पादन प्रभावित होता है।

नरवाई प्रबंधन हेतु करे उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग

उप संचालक कृषि श्री मोरिस नाथ ने बताया कि कृषक बंधु उन्नत कृषि यंत्र जैसे श्रेडर, मल्चर, स्ट्रारिपर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर इत्यादि यंत्रों का उपयोग कर नरवाई प्रबंधन कर सकते हैं।

स्ट्रीपर के माध्यम से खेत में खड़े फसल अवशेषों को भूसे में परिवर्तित कर पशुओं के लिये आहार तैयार किया जा सकता है जो कि वर्ष भर पशुओं को खिलाने के लिये उपयोगी हो सकता है। इसी प्रकार हैप्पी सीडर, सुपर सीडर के माध्यम से कृषक भाई खेत में फसल अवशेषों जलाये बिना, फसलों की बोनी कर सकते है।

उक्त यंत्र कार्यालय सहायक कृषि यंत्री से अनुदान पर ऑन लाईन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से कृषकों को दिये जा रहे है। नरवाई प्रबंधन हेतु बायो डीकम्पोजर है समाधान फसल अवशेष पर वेस्ट डिकम्पोजर कचरा अपघटक या बायोडायजेस्टर के तैयार घोल का छिड़काव करें या फसल की कटाई के बाद घास-फूस पत्तियाँ, ठूंठ, फसल अवशेषों को सड़ाने के लिए 20-25 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर बिखेर कर नमी की दवा में कल्टीवेटर या रोटावेटर की मदद से मिट्टी में मिला देना चाहिए।

इफको द्वारा निर्मित बायो डीकम्पोजर 20 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी के साथ एवं उक्त घोल में 2 किलो गुंड मिलाकर 7 दिवस तक रहने दे, 7 दिवस के पश्चात उक्त 200 लीटर घोल को लगभग 1.5 से 2 एकड़ रकबे पर स्प्रे करने से फसल अवशेष विघटित होकर मिट्टी में मिल जाते है और जीवाणुओं के माध्यम से ह्यूमस में बदलकर खेत में पोषक तत्व (नत्रजन, फास्फोरस, पोटाष, सल्फर आदि) तथा कार्बन तत्व की मात्रा को बढ़ा देते है।

हमारे खेतों में ये ह्यूमस तथा कार्बन ठीक उसी प्रकार काम करते है जैसे हमारे खून में रक्त कणिकाएँ। इसीलिए किसान भाई फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाकर पर्यावरण को सुरक्षित बनाने में सहयोग प्रदान करें।

जुर्माने का है प्रावधान:- म.प्र. शासन पर्यावरण विभाग मंत्रालय आदेशों के परिपालन में कलेक्टर श्री सिंघल ने सभी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को नरवाई (फसल अवशेष) जलाने वालों पर नियमनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए अर्थ दण्ड वसूलने के निर्देश दिए हैं। 2 एकड़ से कम नरवाई जलाने पर 2500/- रूपये, 2 एकड़ से 5 एकड़ तक 5000/- एवं 5 एकड़ अधिक 15000/- रूपये का जुर्माना किया जाना प्रस्तावित है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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