सिवनी, बरघाट: सिवनी-बालाघाट मुख्य मार्ग पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। ग्राम पंचायत और तहसील प्रशासन द्वारा सीमांकन के बावजूद भूमाफिया द्वारा अवैध कब्जे हटाने में बाधाएं उत्पन्न की जा रही हैं। स्थिति यह हो गई है कि उनके द्वारा ही अतिक्रमण के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाले संतोष शुक्ला के खिलाफ तहसीलदार बरघाट तथा थाना प्रभारी बरघाट को ञापन सौंपते हुऐ कार्यवाई की मांग की गई है ऐसी स्थिति मे क्या शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा करने करने वाले ही एकमत होकर प्रशासन पर भारी होने का दबाव बनाने का प्रयास कर रहे है.
रोड किनारे अतिक्रमण से बढ़ रहीं दुर्घटनाएं
धारनाकला स्थित सिवनी-बालाघाट मुख्य मार्ग पर फैले अतिक्रमण के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। सड़क किनारे दुकानों, ठेलों और अन्य अस्थायी निर्माणों के कारण राहगीरों और वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने इस समस्या को संज्ञान में लेते हुए संयुक्त दल के माध्यम से सीमांकन किया और अतिक्रमण चिन्हित किए। तहसीलदार न्यायालय से अतिक्रमणकारियों को नोटिस भी जारी हुए, लेकिन कार्यवाही अधर में लटक गई है।
जनपद पंचायत की शासकीय जमीन पर अवैध कब्जे
बरघाट जनपद पंचायत की बेशकीमती शासकीय भूमि भी अतिक्रमणकारियों के निशाने पर है। यहाँ अवैध निर्माणों और गंदगी की वजह से स्थानीय लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा यह जमीन निजी रूप से संशोधित कर बेची जा रही है, जिससे सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है। इसका मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते अवैध कब्जे जारी हैं।
मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद खुले में मांस की बिक्री जारी
सिवनी-बालाघाट रोड के आबादी क्षेत्र और बसाहट इलाकों में खुले में मांस बिक्री बदस्तूर जारी है। स्थानीय लोगों ने कई बार इस पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता साफ दिख रही है। सिवनी बालाघाट रोड के किनारे आबादी क्षेत्र तथा बसाहट क्षेत्र मे प्रशासन की नाक के नीचे खुले मे मासं बिक रहा है जिसकी गंदगी तथा बदबू से लोग परेशान है किन्तु पत्रकारिता की आड लेकर ब्लेक मेलिंग मे माहिर राकेश अगरवार जो आए दिन अखबार के हाकर के रूप मे चोला बदलते फिरता है तथा क्राइम रिपोटर तो कभी जिले का ब्यूरो चीफ बनकर आतंक का पर्याय बना रहता है अभी पिछले माह ही यह हाकर सरपंच की शिकायत पर जैल भी जा चुका है खुले मासं बिक्री का हमदर्द बना फिर रहा है तथा शासकीय जमीन को अपनी जागीर समझकर लोगो को चेलेज कै साथ साथ प्रशासन को भी गुमराह करते चले आ रहा है जबकि प्रदेश के मुखिया के आदेश के बाद भी लम्बे समय से शासकीय जमीन पर खुले मे मासं बिक्री पर प्रतिबन्ध न लगना समझ से परे है.
अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ प्रशासन की रणनीति
जिला कलेक्टर के निर्देश पर संयुक्त दल ने शासकीय भूमि का सीमांकन कर अतिक्रमण चिन्हित कर दिया है। लेकिन कुछ प्रभावशाली भूमाफिया तहसीलदार की कार्यवाही को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से कार्रवाई की तैयारी है, लेकिन यह देखना होगा कि कानूनी प्रक्रिया में कितनी तेजी लाई जाती है और क्या अवैध कब्जे हटाने में प्रशासन सफल होगा या नहीं।
प्रशासन को दिखानी होगी सख्ती
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और भूमाफिया के दबाव में प्रशासन की कमजोरी को लेकर जनता में रोष बढ़ता जा रहा है। यदि सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो अतिक्रमण और भूमाफिया का आतंक बढ़ता ही जाएगा।