सिवनी-बालाघाट मुख्य मार्ग पर अवैध अतिक्रमण की समस्या अब केवल ट्रैफिक जाम तक सीमित नहीं रही है, बल्कि यह जानलेवा हादसों का कारण बनती जा रही है। हाल ही में घटी दर्दनाक दुर्घटना ने इस सच्चाई को फिर से उजागर कर दिया है। होटल व्यवसायी संतोष सोनी, जो बालाघाट में अपना होटल चलाते हैं, अतिक्रमण के कारण हुई दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। उनके पैर की हड्डी बुरी तरह टूट गई और सिर पर भी गहरी चोट आई है। वर्तमान में वे बालाघाट के एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
दुर्घटना कैसे घटी – जानिए पूरा घटनाक्रम
जानकारी के अनुसार, संतोष सोनी बस स्टैंड पर स्थित चौधरी किराना दुकान से अपने होटल के लिए सामग्री खरीदने गए थे। जब वे वापस लौट रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार बाइक सवार ने उन्हें टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि संतोष सोनी जमीन पर गिर पड़े और उनके पैर की हड्डी टूट गई, वहीं सिर में भी गहरी चोट आई। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत उन्हें उठाया और परिजनों ने तत्काल अस्पताल पहुँचाकर इलाज शुरू करवाया।
डॉक्टरों ने पैर की सर्जरी कर उसमें रॉड डाली है। वर्तमान में उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है।
बस स्टैंड क्षेत्र: अतिक्रमण का अड्डा बन चुका है
बस स्टैंड से कैला माता चौक तक फैला अतिक्रमण आज स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। इस क्षेत्र में फुटपाथ, सड़कों के किनारे, शासकीय भूमि तक को दुकानदारों और ठेले वालों ने कब्जा कर रखा है। रोज़ाना यहां हजारों वाहन और पैदल यात्री गुजरते हैं, जिससे ट्रैफिक अव्यवस्थित हो गया है और दुर्घटनाएं आम हो गई हैं।
पहले भी हो चुकी हैं कई गंभीर घटनाएं
यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी इसी मार्ग पर कई गंभीर सड़क हादसे हो चुके हैं। लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के चलते अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अधूरी ही रह जाती है। MPRDC और तहसील प्रशासन द्वारा सीमांकन तो जरूर किया गया, लेकिन वास्तविक कार्रवाई नदारद है।
जनपद पंचायत की कीमती जमीन भी अतिक्रमण की चपेट में
सिवनी-बालाघाट मार्ग से सटी जनपद पंचायत बरघाट की बेशकीमती जमीन भी अब भू-माफियाओं और ठेलेवालों के कब्जे में आ चुकी है। कई बार इस भूमि का सीमांकन और मुआयना किया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन ने केवल कागज़ी औपचारिकताएं पूरी कीं, लेकिन जमीन को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया गया।
जनता के अधूरे सपने: नहीं बन सका सुगम कॉम्प्लेक्स
उक्त शासकीय भूमि पर सुगम कॉम्प्लेक्स के निर्माण की योजना बनाई गई थी। इससे स्थानीय जनता को कई सुविधाएं मिलती, लेकिन जनपद पंचायत की निष्क्रियता ने इस सपने को अधूरा छोड़ दिया। आवश्यक फाइलें, सीमांकन, प्रस्ताव सब कुछ तैयार था, पर आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई।
गंदगी का अम्बार: स्वच्छ भारत मिशन की उड़ रही धज्जियां
जहां एक ओर सरकार स्वच्छ भारत मिशन पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर जनपद की शासकीय भूमि पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यहाँ स्थित पानी टंकी, सामुदायिक भवन, और सुलभ शौचालय चारों ओर से गंदगी और अतिक्रमण से घिरे हुए हैं। हालात यह हैं कि ग्राम पंचायत धारनाकला, जिसकी सीमा में यह भूमि आती है, भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
जिला कलेक्टर, तहसीलदार, और जनपद अध्यक्ष सभी को इस स्थिति की जानकारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्या प्रशासन किसी और बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है? आम जनता और व्यापारी वर्ग बार-बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन सरकारी मशीनरी बेखबर बनी हुई है।
क्या कोई जिम्मेदार जागेगा?
होटल व्यवसायी संतोष सोनी की हालत ने इस पूरे मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज की चुप्पी और प्रशासन की निष्क्रियता का नतीजा है। अगर अब भी समय रहते अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में और भी बड़ी दुर्घटनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
सिवनी-बालाघाट मार्ग केवल एक सड़क नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों की आजीविका और जान की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। यदि प्रशासन, राजस्व विभाग और जनपद पंचायत मिलकर काम करें, तो यह क्षेत्र न केवल दुर्घटना मुक्त बन सकता है बल्कि सुव्यवस्थित और स्वच्छ क्षेत्र के रूप में विकसित हो सकता है।
आवश्यक है कि हम सभी नागरिक मिलकर प्रशासन पर दबाव बनाएं और इस अतिक्रमण की समस्या का स्थायी समाधान निकालें।