सरकार की उपलब्धियों और पीएम मोदी की हो रही ब्रांडिंग, मायगॉव पोर्टल पर रजिस्टर्ड लोगों को मिल रहे पीएम के मैसेज और ई-मेल
विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के दायरे को निर्धारित करना और इसके उल्लंघन के मामलों को रोकना चुनाव आयोग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। कुछ मामलों को लेकर आयोग खुद असमंजस में है कि यह आचार संहिता के दायरे में है या नहीं और यदि हैं तो इन्हें कैसे रोका जाए। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से आने वाले ई-मेल और एसएमएस आचार संहिता उल्लंघन की श्रेणी में हैं या नहीं, इसका स्पष्ट जवाब प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों के पास नहीं है। भारत सरकार के मायगॉव पोर्टल पर पंजीकृत लोगों के पास रोजाना इस पोर्टल और पीएमओ से ई-मेल और एसएमएस आ रहे हैं, जिनमें भारत सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रोजाना गतिविधियों, सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं और अभियानों का प्रचार-प्रसार हो रहा है। इसमें ई-न्यूजलेटर के साथ दी गईं लिंक को कनेक्ट करने पर भारत सरकार की सभी योजनाओं और प्रधानमंत्री का गुणगान करने वाली सामग्री है।
उल्लेखनीय है कि पार्टियां अपने प्रचार-प्रसार और ब्रांडिंग के लिए नए-नए और आधुनिक तरीके अपना रही हैं। इनका दायरा इतना विस्तृत है, आयोग स्वत: इन पर नियंत्रण कराने की स्थिति में नहीं है। जिन मामलों में शिकायत होती है, उनका परीक्षण करने के बाद आयोग इन पर फैसला लेता है। भारत सरकार का माय गॉव पोर्टल मोदी की सरकार की उपलब्धियों से भरा है। सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार और पीएम मोदी की ब्रांडिंग के लिए तरह-तरह से इसमें लोगों को आकर्षित किया जाता है। सरकार की योजनाओं पर आधारित कई तरह की प्रतियोगिताएं इसमें ऑनलाइन होती हैं तो पीएम के भाषण, वीडियो, मन की बात जैसे फ्लेगशिप प्रोग्राम के साथ-साथ उपलब्धियों से जुड़े आंकड़े इसमें प्रदर्शित हो रहे हैं। इस मामले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
*एसएमएस के साथ दी जा रही लिंक*
पीएमओ से जो मैसेज मध्यप्रदेश के रजिस्टर्ड लोगों के पास आ रहे हैं, उनमें एक लिंक दी जा रही है। इस लिंक को क्लिक करने पर जन-संपर्क डॉट एनआईसी डॉट इन पोर्टल खुलता है। इसी पोर्टल पर भारत सरकार और माय गॉव पोर्टल के लिंक हैं। इन लिंक को क्लिक करने पर सीधे यह पोर्टल खुलते हैं, जिनमें सरकार की उपलब्धियां और पीएम की ब्रांडिंग से जुड़ी सामग्री है।
सीधे तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन
जानकार पीएमओ के ई-मेल और माय गॉव से आ रहे एसएमएस को स्पष्ट रूप से आचार संहिता का उल्लंघन मान रहे हैं। खासकर जिन प्रदेश में चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील है, वहां इस तरह के ई-मेल और एसएमएस मतदाताओं को प्रभावित करते हैं।
आयोग में अब तक शिकायत भी नहीं
इस मामले में अब तक राजनीतिक दलों का ध्यान भी नहीं गया। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में इन ई-मेल और एसएमएस को रोकने के लिए कोई शिकायत भी नहीं की गई। सामान्यत: ऐसे मामलों में आयोग शिकायत प्राप्त होने के बाद कार्यवाही करता है।
एसएमएस और ई-मेल को लेकर ये हैं आयोग के निर्देश
हाल ही में चुनाव आयोग ने ई-मेल, एसएमएस और वाट्सएप मैसेज को लेकर निर्देश जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि आचार संहिता लागू होने के बाद उम्मीदवार द्वारा रात के समय प्रचार अभियान थमने पर मतदाताओं को फोन कॉल, एसएमएस या व्हाट्सएप संदेश के जरिये वोट मांगने की अपील नहीं कर सकेंगे। इससे पहले आयोग ने कहा था कि प्रत्याशी घोषित होने के बाद किसी एसएमएस का खर्चा उम्मीदवार के चुनाव व्यय में जोड़ा जाएगा।
बैंक और एटीएम के मामले में भी यही हुआ
राष्ट्रीयकृत बैंकों और उनके एटीएम में मुद्रा योजना जैसी अनेक योजनाओं की ब्रांडिंग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर के साथ की जा रही है। इससे प्रदेश का मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय अनजान था। इसकी शिकायत होने पर इस मामले को संज्ञान में लिया। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी व्हीएल कांताराव ने कल इस मामले में वे कहा कि वे अधिकारियों को भेजकर इसकी जांच कराएंगे।
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ई-मेल और एसएमएस से योजनाओं की जानकारी तो दी जा सकती है, लेकिन इनका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता। इसका परीक्षण कराएंगे।
लोकेश जाटव, एडिशनल सीईओ, मध्यप्रदेश