Saturday, April 20, 2024
Homeसिवनीछठ पूजा : लखनवाड़ा घाट में होगा पूजन

छठ पूजा : लखनवाड़ा घाट में होगा पूजन

सिवनी- जिला मुख्यायल में निवास रत उत्तर प्रदेश व बिहार के निवासी कल 14 नमव्बर की सुबह 5 बजे लखनवाड़ा वेंनगंगा घाट में छठ पर्व मनाएंगे।

नवरात्रि और दूर्गा पूजा की तरह छठ भी हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस साल यह पर्व 13 और 14 नवंबर को मनाया जायेगा। छठ पूजा को लेकर हिन्दुओं में काफी आस्था होती है। हालांकि अब यह पर्व हर जगह मनाया जाने लगा है, लेकिन मुख्य रुप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। इस दौरान डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्य देव की बहन हैं और सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होकर घर परिवार में सुख-शांति व धन-धान्य प्रदान करती हैं।

कार्तिक छठ पूजा का है विशेष महत्व
भगवान भाष्कर की आराधना का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, चैत्र शुक्ल की षष्ठी व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को। चैत्र शुक्ल की षष्ठी को काफी कम लोग यह पर्व मनाते हैं, लेकिन कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पर्व मुख्य माना जाता है। चार दिनों तक चलने वाले कार्तिक छठ पूजा का विशेष महत्व है।

क्यों की जाती है छठ पूजा
छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिये की जाती है। भगवान भास्कर की कृपा से सेहत अच्छी रहती है और घर में धन धान्य की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति के लिए भी छठ पूजन का विशेष महत्व है।

कौन हैं छठ माता और कैसे हुई उत्पत्ति?
छठ माता को सूर्य देव की बहन बताया जाता है, लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ माता भगवान की पुत्री देवसेना बताई गई हैं। अपने परिचय में वे कहती हैं कि वह प्रकृति की मूल प्रवृत्ति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं यही कारण है कि उन्हें षष्ठी कहा जाता है। संतान प्राप्ति की कामना करने वाले विधिवत पूजा करें, तो उनकी मनोकामना पूरी होती है। यह पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को करने का विधान बताया गया है।
पौराणिक ग्रंथों में इसे रामायण काल में भगवान श्री राम के अयोध्या वापसी के बाद माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करने से भी जोड़ा जाता है।

चार दिनों तक चलती है छठ पूजा
छठ पूजा चार दिनों तक चलती है और इसे काफी कठिन और विधि-विधान वाला पर्व माना जाता है। इसके लिए पूजा से पहले काफी साफ-सफाई की जाती है। घर के आस-पास भी कहीं गंदगी नहीं रहने दी जाती।

नहाय-खाय
पूजा के पहले दिन नहाय खाय होता है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण करते हैं और शाकाहारी भोजन करते हैं। इस दिन लौकी-भात (लौकी की सब्जी और चावल, दाल अादि) की परंपरा है। पूजा के दौरान बाजार में लौकी की कीमत भी काफी बढ़ जाती है। नहाय खाय के दिन व्रती के भोजन करने के पश्चात ही घर के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।

खरना
छठ पूजा के तहत नहाय-खाय के दूसरे दिन खरना होता है। कार्तिक शुक्ल पंचमी को पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। इसे खरना कहा जाता है। इस दिन अन्न व जल ग्रहण किए बिना उपवास किया जाता है। शाम को चावल और गुड़ से खीर बनाकर खायी जाती है और लोगों के बीच इसका प्रसाद भी वितरित किया जाता है। इसमें नमक व चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। खीर बनाने में भी गुड़ का इस्तेमाल होता है।

खरना के दूसरे दिन घी में बनता है प्रसाद

खरना के दूसरे दिन षष्ठी को छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। इसमें ठेकुआ का विशेष महत्व होता है। अर्घ्य के लिए ठेकुआ बनता है वह पूरी तरह से घी में ही बनाया जाता है। ठेकुआ बनाने के लिए आम की लकड़ी का उपयोग होता है। बाजार में आम की लकड़ी भी मिल जाती है। इसके अलावा चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं।

नदी घाटों पर देते हैं अर्घ्य
ठेकुआ और अन्य प्रसाद सामग्री तैयार होने के बाद फल, गन्ना और अन्य सामग्री बांस की टोकरी में सजाये जाते हैं। बांस की टोकरी को दउरा भी कहा जाता है। घर में इसकी पूजा कर सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिये तालाब या नदी घाट पर जाते हैं। पहले दिन स्नान के बाद डूबते सूर्य की आराधना की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।
अगले दिन यानि सप्तमी को सुबह उगते हुए सूर्य की उपासना कर अर्घ्य दी जाती है। इस दौरान नदी घाट पर हवन की प्रक्रिया भी पूरी की जाती है और पूजा के बाद सभी के बीच प्रसाद बांटा जाता है

SHUBHAM SHARMA
SHUBHAM SHARMAhttps://shubham.khabarsatta.com
Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News