एट्रोसिटी एक्ट समाज को बाँट रहा है-स्वरूपानंद जी

By SHUBHAM SHARMA

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सिवनी -07 अक्टू. जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ही ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य हैं, जब तब सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम निर्णय नहीं आता तब तक उत्तर प्रदेश प्रशासन इनको शंकराचार्य के रूप में ही भूमि आवंटित करें। आप बिना कोई बाधा के द्वारकापीठ के भी शंकराचार्य हैं। इनके अनुकूल भूमि इन्हें आवंटित की जाये। उक्ताशय का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया गया है।

उक्त निर्णय की जानकारी देते हुये आज परमहंसी आश्रम में आमंत्रित की गई पत्रकारवार्ता के दौरान शंकराचार्य जी के निज सचिव ब्रम्हचारी सुबुद्धानंद के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय की प्रति के साथ दी गई है।

उल्लेखनीय होगा कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में अपना दावा प्रस्तुत करने वाले वासुदेवानंद के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली गई थी। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद इस प्रकरण का अंतिम निर्णय होने के पूर्व तक सर्वोच्च न्यायालय ने वासुदेवानंद के दावे को अस्वीकार करते हुये स्वामी स्वरूपानंद जी को ही इस पीठ का शंकराचार्य माना है। निर्णय में कहा गया है कि पीठ की परंपरानुसार स्वामी स्वरूपानंद जी का अभिषेक हुआ है। अत: वास्तविक शंकराचार्य वे ही हैं।
ज्ञात हो कि आगामी दिनों में उत्तरप्रदेश में कुंभ का आयोजन किया जाना है, जिसमें देश के शंकराचार्यों के अलावा विभिन्न साधु संन्यासी अपना अस्थायी आश्रम बनाकर रहते हैं। इस हेतु सरकार द्वारा शंकराचार्यों व साधु संन्यासियों को आवंटित की जाने वाली भूमि को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार को निर्देशित किया है कि वह स्वामी स्वरूपानंद जी को दो पीठों का शंकराचार्य मानकर ही भूमि आवंटित करे.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि स्वामी वासुदेवानंद कभी भी शंकराचार्य नहीं रहे इसीलिये यदि वो कुंभ मेले में भूमि लेना चाहें तो उनका केस प्रशासन देखकर उन्हें भूमि दे, किंतु शंकराचार्य के रूप में नहीं।
इस अवसर पर द्विपीठाधीश्वर ने कहा कि भारत में जब बौद्ध धर्म विस्तार पा रहा था तब आठ वर्ष की अल्पायु में ही आदि शंकराचार्य ने संन्यास ग्रहण कर पूरे देश का भ्रमण किया था और चारों दिशाओं में चारों वेदों के आधार पर चार मठों की स्थापना की थी, जिसकी परंपरा अभी तक चली आ रही है। इसी क्रम में वर्तमान समय में वे दो मठों के आचार्य हैं। दो अन्य मठों में स्वामी निश्चलानंद जी एवं भारती तीर्थ महाराज जी वास्तविक शंकराचार्य हैं शेष सभी सन्यासी हैं, शंकराचार्य नहीं।

आपने कहा कि वर्तमान में देश में 60 लोग शंकराचार्य बनकर घूम रहे हैं, जबकि वे शंकराचार्य हैं ही नहीं।
वार्ता के दौरान आपने कहा कि मंदिर और मस्जिद बनवाना राजनेताओं और राजनैतिक दलों का काम नहीं है, क्योंकि वे इन्हें बनवा ही नहीं सकते। आपने कहा कि राजनैतिक दल और उसके नेता चुनाव जीतने के बाद भारतीय संविधान की शपथ लेकर सत्ता में बैठते हंै। संविधान की यह शपथ धर्म निरपेक्षता की होती है। अब ऐसे में जब वे शपथ ले चुके होते हैं, तो फिर किसी धर्म विशेष के स्थल का निर्माण कैसे कर सकते हंै!
स्वामी जी ने कहा कि हम अयोध्या में भगवान राम की जन्म भूमि पर ‘कौशल्या के ललना ’ का मंदिर बनाना चाहते हैं जबकि विश्व हिन्दू परिषद के लोग यहां मर्यादा पुरूषोत्तम आदर्श श्रीराम का मंदिर बनवाना चाहते हैं, जो वे बना नहीं सकते। इसी क्रम में आपने केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई नोटबंदी को भी निरर्थक साबित किया है। आपका कहना था कि न तो इस नोटबंदी से काला धन बाहर आया, और न ही देश में भ्रष्टाचार कम हुआ। इतना ही नहीं आतंकवाद भी नियंत्रित नहीं हो सका

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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