सबसे शांत रहने वाला मप्र का सीनियर शिक्षक गहरे आक्रोश में क्यों है ?

SHUBHAM SHARMA
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भोपाल। शिक्षकों की 1 दिनी हड़ताल के बाद शुक्रवार को विधिवत शिक्षा व्यवस्था पटरी पर जरूर लौट आई किन्तु एलआईव्ही और जनसंपर्क विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों की 1 दिन की हड़ताल ने शिक्षा और जनजातीय विभाग अन्तर्गत संचालित प्रदेश के लगभग 35 हजार से अधिक स्कूलों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। इसका सीधा मतलब जितने शिक्षक हड़ताल पर राजधानी में मौजूद थे, उससे अधिक शिक्षक सामूहिक अवकाश लेकर घर भी बैठे थे, वजह आवागमन की असुविधा, बीमारी, आयु की अधिकता कुछ भी रही हो।

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विभागीय आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 11 हजार से अधिक स्कूल जहां सिर्फ नियमित संवर्ग के शिक्षक  प्रधानपाठक, शिक्षक, सहायक शिक्षक पदस्थ थे, सामूहिक अवकाश के चलते पूरी तरह बंद रहे। सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कभी न हड़ताल करने वाले प्रदेश के पुराने नियमित शिक्षकों को आंदोलन में कूदने की नौबत आ गई? ऐसी कौन सी वजह है कि विभाग का सबसे शांत रहने वाला सीनियर शिक्षक गहरे आक्रोश में है? 

इस सम्बन्ध में भोपाल के प्रसिद्द शिक्षाविद और शिक्षा मामलों के जानकार डॉ द्वारिका सिंदे का कहना है कि मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग में जितने संवर्ग है और जितनी असमानताएं है, उतना देश के किसी भी राज्य में नहीं है, 1994 के पूर्व ऐसी स्थिति नहीं थी, लेकिन दिग्विजय शासनकाल में पंचायत अधिनियम लागू होने तथा शिक्षकों के पद डाइंग कैडर घोषित करने बाद से ये स्थिति निर्मित हुई है, सर्व शिक्षा अभियान के आने के बाद भौतिक रूप से स्कूलों की व्यवस्था जरूर बदली है, लेकिन छात्रों के जनरल प्रमोशन और निजी स्कूलों को बेधड़क मान्यता देने से जो सरकारी स्कूलों की जो दिशा दशा बिगड़ी है वो आज तक पटरी पर नहीं आ पाई है। 

इसके लिए भी सिर्फ शिक्षको को ही दोषी ठहराया जाता है जबकि वास्तविक कारण कुछ और ही है, दिखावटी प्रयोगों के दौर में आज शिक्षक अपनी प्रभावी भूमिका तय नहीं कर पा रहा है, वर्ष 1994 से विभाग के पुराने शिक्षकों के पदोन्नति के रूप में मिलने वाले प्रोत्साहन के अवसर लगभग बन्द हो गए है, वर्ष 1977 में सेवा आरंभ करनेवाला बी एस सी, एम एस सी की योग्यता रखनेवाला शिक्षक प्राचार्य का वेतन लेने के बाद भी प्रदेश के प्राइमरी स्कूल में अ अनार का अध्यापन करा रहा है, शिक्षक,प्रधानपाठक, व्याख्याता सभी के पदोन्नति के अवसर गॉड हो गए, नियमानुसार पुराने शिक्षकों की सेवा शर्तों पर आर टी ई का विषय बंधन लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रदेश लेकिन अफसरशाही की नासमझी ने यह बंधन लागू कर शिक्षको के अधिकारों पर कैंची चलाने का काम किया है, प्रदेश में आज लगभग 90% प्राचार्यो के पद रिक्त है, नियमित संवर्ग की स्वीकृत पद संरचना प्रदेश के स्कूलों से विलोपित सी हो गई है। 

तमाम वेतन विसंगतियों के चलते प्रदेश का शिक्षक अन्य राज्यो की तुनला में औसतन 15 हजार कम वेतन प्राप्त कर रहा है, दूसरी ओर अन्य संवर्ग में अध्यापकों को ही ले ले तो इस संवर्ग को पदोन्नति के अवसर जरूर मिले है लेकिन पेंशन और बीमा जैसी सुविधाओं से वो आज भी मोहताज है, प्रदेश में अनुभव को कुचलकर अपमानित किया जा रहा है,सर्वशिक्षा की प्रतिनियुक्ति देश के किसी भी राज्य में आयु का बंधन लागू नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश में है, जो घरे असंतोष का कारण है, निश्चित है कि जब प्रदेश का शिक्षादाता असंतुष्ट रहेगा तो शिक्षा व्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी! ऐसे में असमानाओ की लंबी खाई तुलनात्मक रूप से परस्पर संवर्ग संघर्ष का कारण बन रही है, जो भविष्य के लिए ठीक नहीं है, सर्जा को इस पर विचार करना होगा।

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Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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