शिक्षा के क्षेत्र में आज कई महिलाएं उपलब्धि हासिल करती जा रही है ।ऐसे में इंदौर की देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से 58 साल के इतिहास में डॉ प्रियंका पसारी ने अंग्रेजी भाषा में डी—लिट की उपाधि अर्जित कर इतिहास रच दिया है।
प्रियंका प्रसारित विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसी पहली महिला बनी है। जिन्होंने इस उपाधि को अपने नाम किया है। उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से अपने परिवार के साथ शहर का नाम रोशन किया है। प्रियंका ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए रात दिन मेहनत की तब कहीं जाकर उन्हें यह सफलता मिल पाई है।
आईएएस बनने सपना संजोए बैठी थी प्रियंका
दरअसल इस समय शिक्षकों की भर्ती से जुड़े नियम सख्त कर दिए गए हैं। विश्वविद्यालय के द्वारा उन्हें पीएचडी करना अनिवार्य है। ऐसे में जो लोग पीएचडी कर चुके होते हैं। उन्हें ही पढ़ाने की अनुमति दी जाती है ऐसे में प्रियंका पसारी ने इस उपलब्धि को हासिल कर अपने माता-पिता के साथ ही शहर का नाम रोशन किया है।
प्रियंका ने कहा कि उन्होंने वैष्णव स्कूल से प्रारंभिक अध्ययन के बाद आईएएस बनना चाहती थी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर हुआ और आज वहां इस मुकाम पर आकर खड़ी हो गई है। उनका विवाह भी हो गया लेकिन उच्च अध्ययन का सपना अपनी आंखों से विशाल ने नहीं दिया ।17—18 लोगों के भरे पूरे परिवार की बहू बनने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई में रुचि दिखाई है।
2008 से 2019 तक की निरंतर पढ़ाई
रेस कोर्स रोड स्थित ससुराल और आरटीओ रोड स्थित प्यार का भरपूर समर्थन उन्हें मिला है। नतीजा यह रहा कि आज प्रियंका पसारी को अंग्रेजी भाषा में डी—लिट की उपाधि अर्जित हो गई है। प्रियंका ससुराल के साथ-साथ पिता ओमप्रकाश मुछाल के सहयोग को याद करते हुए कहा कि पढ़ाई के लिए पारिवारिक संबंध आर्यों से दूर नहीं हुआ जा सकता है।
इसलिए पढ़ाई के लिए वहां वक्त तय किया या पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियां नहीं रहती थी। उस समय वहां पढ़ाई करती थी। रात 11:00 बजे से 2:00 बजे तक वहां नियमित अध्ययन किया करती थी। यह सिलसिला 2008 से 2019 तक निरंतर चलता रहा और आखिरकार अब उन्हें सफलता हाथ लगी है।
प्रियंका अपने सर डॉक्टर अशोक सचदेवा के साथ फिल्मी दुनिया के इनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले स्वर्गीय जयप्रकाश जोक चौक से को इस उपाधि का श्रेय देते हुए बताती हैं ।इन वरिष्ठ जनों की अभूतपूर्व सहयोग के बगैर यह संभव नहीं था प्रियंका को इस बात का भी मलाल है कि देश में रिचार्ज और इस चर्चा के लिए बेहतर माहौल व प्रबंध होना चाहिए और इस मामले में दूसरे देशों की मोहताजी खत्म होनी चाहिए।
आखिरकार प्रियंका ने इस सफलता को हासिल कर लिया है और इंदौर की देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के 58 साल के इतिहास में उन्होंने इतिहास रच दिया है और पहली ऐसी महिला बन गई है। जिसने अंग्रेजी भाषा में डी लिट की उपाधि हासिल की है।