भोपाल: यदि इंसान में कुछ करने का मन में जुनून और बाजुओं में दम है तो फिर कुछ भी किया जा सकता है, ये बात बिलकुल सही है. इसी बात को सच साबित करते है मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के 14 वर्षीय कयाग प्रीत अहिरवार (Kayag Preet Ahirwar) ने की.
एक समय ऐसा था जब कार एक्सीडेंट में अपने पिता को खो चुके थे इसके बाद वहां पूरी तरह से टूट गए थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पिछले दिनों छोटा तालाब में आयोजित नेशनल केनो स्टैंड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया है। कयाग ने अपने करियर की शुरुआत में ही पहला नेशनल स्वर्ण पदक जीता है।
Kayag Preet Ahirwar ने 6 महीने पहले शुरू की इंटरनेशनल की तैयारी
कयाग प्रीत अहिरवार ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि वहां भोपाल के बाणगंगा में रहते हैं उनके पिता के जाने के बाद वहां पूरी तरह से टूट गए थे और इस खेल से भी दूरी बना ली थी, क्योंकि उनके कंधों पर उनकी मां और छोटी बहन की जिम्मेदारी आ गई थी, लेकिन एक बार फिर उन्होंने इस खेल में आगे बढ़ने का फैसला किया और इसके बाद 5 सालों से खेल रहे हैं।
6 महीने पहले उन्होंने इंटरनेशनल की तैयारी की सुबह 6:00 से रात 10:00 और शाम 4:00 से 7:00 बजे तक अभ्यास किया करते थे। इसके बाद कोच मयंक ठाकुर के निर्देशन में मेरी कमजोरियों पर काम किया इसके बाद मैंने इस पदक को जीता जो मेरे पिता के लिए समर्पित है।
Kayag Preet Ahirwar ने 35 की उम्र में जीता नेशनल ड्रैगन बोट रेस
कयाग प्रीत अहिरवार का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि वहां एक बार भारतीय टीम में जगह बनाकर खेलें ।वहीं अंकित पचौरी ने 35 साल की उम्र में नेशनल ड्रैगन बोट रेस में 3 पदक जीते हैं। जिसमें 1 सिल्वर गोल्ड और कांस्य पदक शामिल है।
उन्होंने कहा कि 2003 में उन्होंने खेलना शुरू किया था जिसमें C1, C2 और C4 इवेंट में भाग लिया। एशियन गेम्स और 15 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। मेरी पढ़ाई में मन नहीं लगता था। दसवीं के पास पढ़ाई छोड़ दी थी फिर 12वीं प्राइवेट किया। इसके बाद भी बीपीई और बीपीएड किया।
इसके बाद 2003 में बड़ा तालाब में एशियन चैंपियनशिप फुल तब मैंने अपना गेम कैरियर बनाने की ठान ली। अभी सेल टैक्स में हूं मुझे 2008 विक्रम अवार्ड भी मिल चुका है।
इसके अलावा एक और अभय खिलाड़ी हैं जिन्होंने ड्रैगन बोट रेस में 5 पदक हासिल किए हैं। 2018 एशियन गेम जकार्ता में भाग लिया। 2012 में विक्रम अवार्ड मिला वहीं 2013 में उत्कृष्ट खिलाड़ी बने हैं। वहां किराए के मकान में रहकर इसकी तैयारी करते थे और आखिरकार मेहनत और संघर्ष के बाद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन गए हैं।
यह सभी खिलाड़ी अपनी मेहनत की वजह से इस मुकाम पर पहुंचे हैं, लेकिन उनमें कयाग प्रीत अहिरवार है जो अब इंटरनेशनल में भारत की तरफ से हिस्सा लेकर करना चाहते हैं।