हाल ही में समाजवादी पार्टी (एसपी) के विधायक अबू आज़मी द्वारा मुगल सम्राट औरंगजेब के महिमामंडन पर दिए गए बयान ने राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया है। इस बयान की बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इतिहास के ऐसे आक्रांताओं का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए। यह मुद्दा भारत में राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्रों में तीखी बहस का कारण बन गया है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया
इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अबू आज़मी के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत छत्रपति शिवाजी, छत्रपति संभाजी, महाराणा प्रताप और रानी लक्ष्मीबाई जैसे महान योद्धाओं की भूमि है, जहां औरंगजेब जैसे आक्रांताओं को सम्मान नहीं मिलना चाहिए।
शास्त्री जी ने कहा कि समय बदल रहा है और सनातन धर्म का ध्वज पुनः ऊँचा उठेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अंततः हिंदू राष्ट्र के रूप में मान्यता मिलेगी।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बिहार दौरा
वर्तमान में पंडित धीरेंद्र शास्त्री पांच दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। उनकी यात्रा उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से शुरू हुई और अब वे गोपालगंज पहुंचे हैं, जहां उन्होंने मीडिया को संबोधित किया। इस दौरे के दौरान वे अपने भक्तों से मिलेंगे और सनातन धर्म और आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश देंगे।
अबू आज़मी की सफाई
कड़ी आलोचना के बाद अबू आज़मी ने यह कहते हुए अपनी सफाई दी कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया। उन्होंने दावा किया कि उनका इरादा औरंगजेब की प्रशंसा करना नहीं था, बल्कि उस काल की आर्थिक स्थिति को उजागर करना था। हालांकि, उनकी यह सफाई आलोचना को शांत करने में असफल रही, क्योंकि राजनीतिक और धार्मिक नेता उनकी टिप्पणियों से अब भी असंतुष्ट हैं।
सोशल मीडिया पर विवाद
‘बागेश्वर बाबा’ एक्स अकाउंट पर पोस्ट
इसी बीच, “बागेश्वर बाबा” नामक एक सत्यापित एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट ने एक छवि पोस्ट की, जिसमें औरंगजेब के चेहरे पर जूते का निशान था। पोस्ट में उपयोगकर्ताओं से इस छवि को लाइक और शेयर करने का आग्रह किया गया।
यह अकाउंट अगस्त 2019 से सक्रिय है और इसके 78,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। हालाँकि, पंडित धीरेंद्र शास्त्री की टीम ने इस अकाउंट से कोई संबंध होने से इनकार किया है और कहा कि वे ऐसी सामग्री पोस्ट नहीं करते।

राजनीतिक निहितार्थ
इतिहास और राजनीतिक नैरेटिव
औरंगजेब के महिमामंडन को लेकर भारतीय राजनीति में अक्सर बहस छिड़ी रहती है। कुछ लोग उसे एक कुशल शासक मानते हैं, जबकि अन्य उसे एक क्रूर, अत्याचारी और धार्मिक कट्टरपंथी शासक के रूप में देखते हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं को मुगल आक्रांताओं के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए सम्मान दिया जाता है, जिससे औरंगजेब की प्रशंसा एक संवेदनशील मुद्दा बन जाता है।
हिंदू राष्ट्र और सनातन धर्म का पुनरुत्थान
पंडित धीरेंद्र शास्त्री की हिंदू राष्ट्र की अवधारणा हिंदुत्व आंदोलन के विचारों के अनुरूप है। उनका मानना है कि भारत को आधिकारिक रूप से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए, ताकि सनातन धर्म की रक्षा और पुनरुत्थान किया जा सके।
औरंगजेब का शासन: एक विवादास्पद विरासत
इतिहासकारों के बीच औरंगजेब के शासन को लेकर अलग-अलग मत हैं। कुछ लोग उसे एक शक्तिशाली सम्राट मानते हैं, जबकि अन्य उसे हिंदू धर्म और संस्कृति का दमन करने वाला शासक कहते हैं।
औरंगजेब के शासन की प्रमुख विशेषताएँ:
- धार्मिक उत्पीड़न: गैर-मुसलमानों पर जजिया कर लगाया गया और कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया।
- हिंदुओं पर अत्याचार: उसकी नीतियों के खिलाफ राजपूत, मराठा और सिखों ने विद्रोह किया।
- मुगल साम्राज्य का पतन: उसकी लगातार सैन्य नीतियों के कारण साम्राज्य की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और मुगलों का पतन शुरू हो गया।
जनता और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
पंडित धीरेंद्र शास्त्री को समर्थन
कई लोगों ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बयान का समर्थन किया है। उनका मानना है कि देश में हिंदू चेतना को पुनर्जीवित करने के लिए उनका नेतृत्व आवश्यक है।
अबू आज़मी के खिलाफ आक्रोश
दूसरी ओर, अबू आज़मी को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग उन पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने और हिंदू योद्धाओं का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं।
भविष्य में इस बहस की दिशा
औरंगजेब की विरासत पर बहस आगे भी जारी रहने की संभावना है। भारत में इतिहास, पहचान और राष्ट्रवाद से जुड़े सवालों पर यह चर्चा लंबे समय तक चल सकती है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री जैसे नेता इस हिंदू जागरूकता को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
औरंगजेब की विरासत और हिंदू राष्ट्र की अवधारणा भारतीय समाज और राजनीति में लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। अबू आज़मी के बयान ने विवाद को हवा दी, लेकिन पंडित धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया ने हिंदू जागरूकता को और मजबूत किया। यह विवाद हमें ऐतिहासिक सच्चाई और सांस्कृतिक गौरव के महत्व की याद दिलाता है।