भोपाल, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को नर्सिंग कॉलेज घोटाले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस ने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के इस्तीफे की मांग की, जबकि सारंग ने इनकार कर दिया।
एमपी नर्सिंग घोटाला मामले में विपक्ष के आरोप:
- 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान 219 नर्सिंग कॉलेजों को अनुचित तरीके से मान्यता दी गई।
- नर्सिंग काउंसिल का चुनाव नहीं हुआ था और मौखिक आदेश से अनुमतियाँ दी गईं।
- एक संकाय सदस्य 10 कॉलेजों में काम कर रहा था।
- घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी भी इसमें शामिल थे।
- कई अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
- मान्यता के लिए कॉलेजों से पैसे लिए गए थे।
- नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार पर ईओडब्ल्यू मामला दर्ज है।
- सारंग के ओएसडी महेंद्र गुप्ता की संपत्तियों की जांच की मांग।
एमपी नर्सिंग घोटाला मामले में सरकार का बचाव:
- घोटाला कांग्रेस सरकार के 15 महीने के कार्यकाल में हुआ था।
- भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति देने के लिए कानून बनाए।
- 2020 में कांग्रेस सरकार गिरने से पहले 353 कॉलेजों को मान्यता पत्र दिए गए थे।
- नर्सिंग काउंसिल एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए मंत्री को कोई फाइल नहीं मिलती।
- भाजपा सरकार के आने के बाद 150 कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।
- अनुमति प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है और निरीक्षण व्यवस्था को मजबूत किया गया है।
- उच्च न्यायालय द्वारा अनुपयुक्त घोषित किए गए 66 कॉलेजों में से 39 कांग्रेस शासनकाल में स्थापित किए गए थे।
एमपी नर्सिंग घोटाला मामले में वर्तमान स्थिति:
- सीबीआई घोटाले की जांच कर रही है।
- उच्च न्यायालय ने 66 कॉलेजों को अनुपयुक्त घोषित कर दिया है।
- भाजपा सरकार ने कॉलेज खोलने के नियमों में सुधार किया है।
एमपी नर्सिंग घोटाला एक जटिल मामला है जिसमें कई आरोप और विवाद शामिल हैं। सीबीआई जांच जारी है और अभी तक किसी पर कोई ठोस आरोप नहीं लगाया गया है।
यह घोटाला नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है और सरकार को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।