Neemuch News: नीमच जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम थड़ोली के शिक्षक श्री निर्मल राठौर ने स्कूल में अनेक नवाचार कर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में एक अनूठी पहचान बनाई है। यह एक ऐसा स्कूल है जो कि वर्तमान में चाकलेस हो गया है।
डिजिटल शिक्षा का भविष्य: नवाचार और शिक्षक श्री निर्मल राठौर की उपलब्धि
नीमच जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम थड़ोली का शासकीय माध्यमिक विद्यालय आज डिजिटल शिक्षा का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुका है। इसके पीछे प्रमुख भूमिका निभाई है विद्यालय के शिक्षक श्री निर्मल राठौर ने, जिन्होंने अनेक नवाचारों के माध्यम से न केवल विद्यालय को चाकलेस (चॉक मुक्त) बना दिया, बल्कि इसे पूरे प्रदेश में एक मिसाल के रूप में स्थापित किया है।
चाकलेस कक्षाओं का संचालन: स्मार्ट बोर्ड और ICT का उपयोग
आज के समय में जब शिक्षा का डिजिटलीकरण हो रहा है, श्री राठौर ने इसे अपने विद्यालय में सफलतापूर्वक लागू किया है। सभी कक्षाएँ स्मार्ट बोर्ड की सहायता से संचालित होती हैं, जहां शिक्षकों द्वारा यू-ट्यूब, आईसीटी और अन्य डिजिटल टूल्स का भरपूर उपयोग किया जाता है। यह केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि बच्चों के लिए एक नई और आधुनिक शिक्षा पद्धति का हिस्सा है, जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रही है।
विद्यालय की गतिविधियों का डिजिटल प्रसारण
श्री राठौर की अनूठी सोच का परिणाम यह है कि विद्यालय में होने वाली सभी शैक्षिक गतिविधियाँ और नवाचारों को रिकॉर्ड कर यू-ट्यूब पर साझा किया जाता है। इससे अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा की प्रगति और विद्यालय के माहौल के बारे में सूचित किया जाता है। इसके अलावा, विद्यालय में किए गए प्रयासों को राज्य और जिला स्तर पर भी सराहा गया है।
विद्यालय का सौंदर्य और भयमुक्त वातावरण
विद्यालय के वातावरण को और भी अधिक आकर्षक और प्रेरणादायक बनाने के लिए इसे बेहतर पेंट से रंगा गया है और साथ ही एक सुंदर गार्डन भी बनाया गया है। इस गार्डन का उपयोग बच्चों को सामान्य ज्ञान सिखाने के लिए किया जाता है, जहां पौधों पर संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और अधिकारियों के नाम लिखे गए हैं। बच्चे इन नामों को रोज पढ़ते हैं और स्वतः ही याद कर लेते हैं, जो उनकी स्मरण शक्ति और ज्ञान को बढ़ाता है।
उत्कृष्ट पुस्तकालय और स्कूल बैंड: नवाचार का एक और उदाहरण
शाला के नवाचारों में एक और महत्वपूर्ण योगदान है यहाँ का पुस्तकालय, जिसकी प्रशंसा न केवल जिले के अधिकारियों ने की, बल्कि भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इसकी सराहना की है। इसके अलावा, विद्यालय का अपना स्कूल बैंड है, जिसे श्री राठौर ने स्वयं प्रशिक्षित किया और अब बच्चे इसे सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं। यह एक ऐसा प्रयास है जो बच्चों के संगीत कौशल को बढ़ाने के साथ-साथ उनमें नेतृत्व क्षमता का भी विकास कर रहा है।
डिजिटल आई-कार्ड और होमवर्क डायरी की व्यवस्था
विद्यालय में बच्चों के लिए डिजिटल आई-कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जो उनके अभिभावकों के संपर्क में रहने का एक और डिजिटल कदम है। इसके साथ ही विद्यालय में होमवर्क डायरी का पैटर्न भी जन-सहयोग से शुरू किया गया है, जिससे बच्चों को अपने होमवर्क को व्यवस्थित करने में मदद मिलती है।
हाउस कांसेप्ट और ड्रेस कोड: अनुशासन और सौंदर्य का संगम
श्री राठौर ने विद्यालय में हाउस कांसेप्ट भी लागू किया है, जिसके तहत बच्चों को हाउस ड्रेस और हाउस एक्टिविटी में शामिल किया जाता है। यह न केवल बच्चों में अनुशासन को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उनमें प्रतिस्पर्धात्मक भावना और टीम वर्क का विकास भी करता है। साथ ही विद्यालय की ड्रेस कोड भी बहुत आकर्षक और सुंदर है, जो विद्यालय की पहचान को और भी विशिष्ट बनाता है।
शिक्षक श्री निर्मल राठौर का योगदान और सम्मान
शिक्षक श्री निर्मल राठौर के इन अद्वितीय प्रयासों और नवाचारों को राज्य सरकार द्वारा भी मान्यता मिली है। शिक्षण सत्र 2021 में उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा देने का प्रयास भी है।
शिक्षा के क्षेत्र में थड़ोली की शाला: अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणा
थड़ोली की शाला द्वारा किए गए नवाचार और श्री राठौर के नेतृत्व में विद्यालय की अद्वितीय प्रगति ने संकुल और विकासखंड के कई अन्य विद्यालयों को प्रेरित किया है। कई स्कूलों ने थड़ोली विद्यालय के नवाचारों को अपनाया है और अपने विद्यालयों में भी डिजिटल शिक्षा और चाकलेस कक्षाओं का संचालन शुरू किया है।