MP EDUCATION NEWS: एमपी में 10 लाख छात्रों ने छोड़ दिया स्कूल

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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MP EDUCATION NEWS: एमपी में 10 लाख छात्रों ने छोड़ दिया स्कूल

MP EDUCATION NEWS: मध्य प्रदेश में शिक्षा की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में चिंताजनक हो गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण-2023-24 के अनुसार, पिछले दो शैक्षणिक सत्रों में 10 लाख से अधिक छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है।

यह आंकड़ा न केवल राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि समाज के विभिन्न आयामों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और इसके संभावित कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

शिक्षा किसी भी समाज की प्रगति और विकास का महत्वपूर्ण आधार होती है। मध्य प्रदेश, जो कि भारत का एक प्रमुख राज्य है, वहां की शिक्षा व्यवस्था में इतनी बड़ी संख्या में छात्रों का स्कूल छोड़ना एक गंभीर चिंता का विषय है। यह प्रवृत्ति न केवल शिक्षा के स्तर को कमजोर करती है, बल्कि राज्य की आर्थिक और सामाजिक संरचना पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

अर्थिक सर्वेक्षण-2023-24 के अनुसार, शिक्षा से वंचित होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें आर्थिक तंगी, सामाजिक कुरीतियां, शिक्षा की गुणवत्ताविहीनता, और शिक्षा के प्रति उदासीनता जैसी चुनौतियां प्रमुख हैं। इसके अलावा, महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा न होने के कारण भी कई छात्र शिक्षा से कट गए।

इस समस्या के समाधान के लिए न केवल सरकारी स्तर पर बल्कि समाज के हर हिस्से में जागरूकता और प्रयास की आवश्यकता है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, शिक्षकों का प्रशिक्षण, और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इस पोस्ट में हम इन सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे और समाधान के संभावित उपायों पर भी विचार करेंगे।“`html

प्रवेश संख्या में गिरावट

वर्ष 2020-21 में मध्य प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 74.57 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया था, लेकिन यह आंकड़ा अगले साल घटकर 73.21 लाख रह गया। यह गिरावट केवल एक वर्ष की नहीं थी; 2022-23 में यह संख्या और भी कम होकर 67.74 लाख रह गई। यह प्रवृत्ति स्पष्ट करती है कि राज्य में शिक्षा के प्रति रूचि में कमी आई है।

सिर्फ प्राथमिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों की संख्या में भी निरंतर गिरावट देखी गई है। यह गिरावट शिक्षा व्यवस्था के प्रति छात्रों और अभिभावकों की घटती रूचि को दर्शाती है। विभिन्न कारण इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जिनमें आर्थिक कठिनाइयाँ, शिक्षा की गुणवत्ता में कमी, और महामारी के कारण उत्पन्न हुए चुनौतियाँ शामिल हैं।

कई ग्रामीण और शहरी परिवारों में आर्थिक संकट के कारण बच्चों को स्कूल छोड़कर काम करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, शिक्षा की गुणवत्ता में कमी और शिक्षण पद्धतियों में सुधार की आवश्यकता भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकती है। महामारी ने भी इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है, जिससे ऑनलाइन शिक्षा की सीमाओं और डिजिटल डिवाइड ने छात्रों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

इस गिरावट ने शिक्षा नीति निर्माताओं और प्रशासन को एक बड़ी चुनौती के समक्ष खड़ा कर दिया है। यह आवश्यक है कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाएं। शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, और छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान करने जैसी नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में शिक्षा के प्रति रूचि में वृद्धि हो सके और छात्रों की संख्या में गिरावट को रोका जा सके।

छात्रों के ड्रॉप आउट की दर

2021-22 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, मध्य प्रदेश में प्राथमिक विद्यालय के 3.8% से अधिक छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था। वहीं, मिडिल स्कूल में यह दर 9.01% तक पहुँच गई थी। यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि मिडिल स्कूल के छात्रों में ड्रॉप आउट की दर प्राथमिक विद्यालय के मुकाबले अधिक थी।

2022-23 के शैक्षणिक सत्र में यह स्थिति और भी गंभीर हो गई। प्राथमिक विद्यालय में ड्रॉप आउट की दर बढ़कर 4.50% हो गई, जबकि मिडिल स्कूल में यह दर 8.37% रही। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि मिडिल स्कूल के छात्रों में ड्रॉप आउट की दर लगातार अधिक बनी हुई है।

ये आंकड़े शिक्षा प्रणाली में गंभीर समस्याओं की ओर संकेत करते हैं। उच्च ड्रॉप आउट दर का मुख्य कारण शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की आर्थिक स्थिति हो सकती है। इसके अतिरिक्त, मिडिल स्कूल में बढ़ती शैक्षणिक कठिनाइयों और पारिवारिक दबाव भी छात्रों को स्कूल छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश में शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए, इन मुद्दों का समाधान निकालना अत्यावश्यक है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, आर्थिक सहायता के प्रावधान, और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने जैसे कदम उठाए जाने चाहिए। केवल तब ही हम छात्रों की ड्रॉप आउट दर को कम कर सकते हैं और उन्हें एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर कर सकते हैं।

समाधान और भविष्य की दिशा

मध्य प्रदेश में शिक्षा की गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले, शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, जिनके माध्यम से माता-पिता और छात्रों को शिक्षा के महत्व के बारे में जानकारी दी जा सके।

छात्रों को स्कूल में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। इसमें स्कूलों में बेहतर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना, जैसे कि स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ शौचालय, और सुरक्षित परिवहन शामिल हैं। इसके अलावा, छात्रों को मध्याह्न भोजन योजना का लाभ मिलना चाहिए, जिससे उनकी पोषण की आवश्यकताएं पूरी हो सकें और वे नियमित रूप से स्कूल आ सकें।

शिक्षा प्रणाली में सुधार भी आवश्यक है। पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने और उसे छात्रों की रुचि और आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित करने की जरूरत है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी सुदृढ़ किया जाना चाहिए ताकि शिक्षकों की गुणवत्ता में वृद्धि हो सके। एक सक्षम और प्रेरित शिक्षक ही छात्रों को उत्साह और ऊर्जा के साथ पढ़ा सकता है।

इसके अलावा, शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्कूल भवनों की मरम्मत और नवीनीकरण, नए स्कूलों का निर्माण, और डिजिटल शिक्षा के साधनों का समावेश किया जाना चाहिए। डिजिटल शिक्षा से छात्रों को नवीनतम तकनीक और संसाधनों का उपयोग करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

इन सभी उपायों को अपनाने से मध्य प्रदेश में शिक्षा की स्थिति में सुधार हो सकता है और छात्रों को स्कूल छोड़ने से रोका जा सकता है। यह आवश्यक है कि सरकार, शिक्षा विभाग, और समाज मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास करें ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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