Shri Krishna Patheya: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण पाथेय के संदर्भ में मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार पूरी तरह एकमत हैं। दोनों राज्यों की सरकारें मिलकर इस पावन पथ के विकास हेतु ठोस कार्ययोजना बनाएंगी। इसके साथ ही, गुजरात सरकार से भी सहयोग लेकर भगवान श्रीकृष्ण के गुजरात गमन पथ को संरक्षित और विकसित किया जाएगा।
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग होंगे उजागर
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का ईश्वरीय स्वरूप तो स्तुत्य है ही, लेकिन इसके अलावा भी उनके जीवन के अनेक महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन्हें समाज के समक्ष प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। इनमें उज्जैन में शिक्षा ग्रहण करना, सुदामा से मित्रता निभाना, वनवासी समाज से प्रेम और गुरू-शिष्य परंपरा की मिसाल स्थापित करना शामिल हैं। इन पहलुओं को उजागर कर समाज में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
विशेषज्ञ समिति की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार को समत्व भवन, मुख्यमंत्री निवास में श्रीकृष्ण पाथेय से संबंधित विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक में उपस्थित थे। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए पुरातत्वविदों, धर्माचार्यों एवं श्रीकृष्ण साहित्य के विद्वानों को भी समिति में जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, भोपाल में आयोजित बैठक के साथ-साथ उज्जैन, जयपुर, भरतपुर, ब्रज एवं चौरासी कोस जैसे महत्वपूर्ण स्थलों पर भी बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिससे इस पवित्र परियोजना को गति मिल सके।
भगवान श्रीकृष्ण के गमन स्थलों का होगा अभिलेखीकरण
मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भगवान श्रीकृष्ण के गमन स्थलों का सटीक अभिलेखीकरण किया जाए। प्राचीन शास्त्रों, ऐतिहासिक दस्तावेजों एवं पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर भगवान श्रीकृष्ण के भ्रमण स्थलों की विस्तृत सूची तैयार की जाएगी। विशेष रूप से, उज्जैन के सांदीपनि आश्रम को श्रीकृष्ण पाथेय के विकास केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा।
श्रीकृष्ण पाथेय का ऐतिहासिक महत्व और इसके विस्तार की योजना
विशेषज्ञों ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा लोक कल्याण के उद्देश्य से मथुरा, उज्जैन, द्वारका, ब्रज मंडल, मेवात, हाड़ौती, मालवा, निमाड़, गुजरात, राजस्थान, विदर्भ और महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में यात्राएं की गई थीं। किंतु उनका प्रमुख केंद्र उज्जैन ही था। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए उज्जैन को इस परियोजना के मुख्य केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
धार्मिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने धार्मिक पर्वों एवं सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी सहभागिता बढ़ाई है। उन्होंने बताया कि दशहरे पर शस्त्र पूजा, दीपावली पर गोवर्धन पूजा और हाल ही में गीता जयंती का आयोजन कर प्रदेश में सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया गया है। इसी कड़ी में प्रदेश के 17 पवित्र धार्मिक स्थलों में शराबबंदी लागू करने का निर्णय लिया गया, जिससे समाज में सकारात्मक संदेश गया है।
श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए सरकार का प्रतिबद्ध रुख
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। भविष्य में भगवान श्रीकृष्ण की अन्य लीलाओं को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा ताकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो।
बैठक में उपस्थित प्रमुख सदस्य
इस बैठक में राजस्थान सरकार में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त श्री ओंकार सिंह लखावत, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार डॉ. श्रीराम तिवारी, उज्जैन के डॉ. शैलेन्द्र शर्मा, डॉ. रमन सोलंकी, मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव श्री संजय शुक्ला, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री शिवशेखर शुक्ला सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं समिति के सदस्यगण उपस्थित थे। उज्जैन के कमिश्नर एवं कलेक्टर ने भी वर्चुअली बैठक में सहभागिता की।
इस बैठक में लिए गए निर्णयों से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश सरकार भगवान श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए सक्रियता से कार्य कर रही है और अन्य राज्यों के साथ समन्वय बनाकर इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके माध्यम से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया जाएगा। यह पहल न केवल संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी।