मध्यप्रदेश का आम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इसके स्वाद और खुशबू की चर्चा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में होती है। मध्यप्रदेश के आम का इतिहास और यहां के किसानों की मेहनत की कहानी बेहद दिलचस्प है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे यह प्रदेश आम उत्पादन में अपनी एक विशेष पहचान बना चुका है।
नूरजहां आम: आलीराजपुर का गर्व
कट्ठीवाड़ा का नूरजहां आम अद्वितीय है। इसका आकार और वजन ही नहीं, बल्कि इसकी महक और स्वाद भी इसे खास बनाती है। नूरजहां आम का वजन 500 ग्राम से 2 किलो तक हो सकता है। इसकी लंबाई बारह इंच तक होती है।
यहां के किसानों का मानना है कि यह आम अपने आप में एक कृति है, जिसे देखने और चखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। आम की बुकिंग इसकी फसल के पहले ही हो जाती है। यह आम जनवरी में फूलता है और जून तक तैयार हो जाता है। इसका पौधा अफगानिस्तान से होते हुए गुजरात और फिर मध्यप्रदेश आया। कट्ठीवाड़ा में 37 प्रकार के आम मिलते हैं, जिनमें नूरजहां का नाम सबसे ऊपर आता है।
सुंदरजा आम: रीवा का अनमोल रत्न
रीवा के गोविंदगढ़ का सुंदरजा आम भी किसी से कम नहीं है। इसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिला हुआ है। सुंदरजा आम अपनी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह आम वर्ष 1968 में डाक टिकट पर भी छपा था।
इसकी पत्तियाँ, छाल और गुठलियाँ औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। सुंदरजा आम में शक्कर की मात्रा कम होती है, जिससे यह मधुमेह के मरीजों के लिए भी सुरक्षित है। रीवा के फल अनुसंधान केंद्र में इस पर लगातार शोध चल रहे हैं और यहाँ विभिन्न प्रकार के आमों के 2345 पेड़ हैं।
मियाजाकी आम: जबलपुर की शान
जबलपुर का मियाजाकी आम अपनी महंगाई और स्वाद के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह आम जापान की किस्म है और इसे “सूर्य का अंडा” भी कहा जाता है। मियाजाकी आम का एक फल 20000 रूपये तक बिकता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 3 लाख रूपये प्रति किलो तक पहुँच जाती है। जबलपुर में 1984 से इसका उत्पादन हो रहा है और इसके पेड़ों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
आम का इतिहास और महत्व
आम का इतिहास 5000 साल पुराना है। यह फल इंडो वर्मा रीजन में उत्पन्न हुआ और पूरे दक्षिण एशिया में फैला। वर्ष 1498 में पुर्तगाली कोलकाता में उतरे और उन्होंने आम का व्यापार स्थापित किया। आम ट्रॉपिकल और सब ट्रॉपिकल जलवायु में अच्छा फलता है। यह ब्राज़ील, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, हैती, मेक्सिको, पेरू में भी पाया जाता है। आम के पेड़ की पत्तियों का उपयोग शादियों और धार्मिक आयोजनों में किया जाता है।
मध्यप्रदेश में आम का उत्पादन
मध्यप्रदेश में आम का उत्पादन पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ा है। वर्ष 2016-17 में उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 13.03 मीट्रिक टन थी जो 2023-24 में बढ़कर 14.66 मीट्रिक टन हो गई है। इसी प्रकार, 2016-17 में आम का क्षेत्र 43609 हेक्टेयर था जो अब बढ़कर 64216 हेक्टेयर हो गया है। इसी दौरान उत्पादन 5,04,895 मीट्रिक टन से बढ़कर 9,41,352 मीट्रिक टन हो गया है।
उद्यानिकी फसलों का महत्व
बाणसागर की नहर ने इस क्षेत्र में खेती और उद्यानिकी फसलों की पैदावार को बढ़ावा दिया है। यहाँ खाद्य प्रसंस्करण लघु उद्योगों की भी भरपूर संभावनाएं बनी हैं। गोविंदगढ़ क्षेत्र में आम के कई बाग हैं और यहाँ से फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड और अरब देशों को आम निर्यात होता है।
आम की अन्य प्रमुख किस्में
मध्यप्रदेश में आम की कई प्रमुख किस्में पाई जाती हैं, जिनमें बॉम्बे ग्रीन, इंदिरा, दशहरा, लंगड़ा, गधुवा, आम्रपाली और मलिका मुख्य हैं। हर किस्म का अपना विशेष स्वाद और महक है, जो इसे बाकी से अलग बनाती है।
आम का औषधीय महत्व
आम न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-सी और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट होता है और शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है। इसकी पत्तियाँ और छाल का उपयोग भी औषधीय रूप में किया जाता है।