दमोह: भारत सूफ़ी संतों का देश है। यहां महान सूफी संतों ने अमन चैन और भाई चारे का सन्देश दिया, और लोगों के दिलों पर राज किया। इन्हीं में नाम आता है दिल्ली के महान सूफ़ी संत हजऱत ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया महबूबे इलाही का, जिनके नाम से ही दिल्ली सारा निज़ामुद्दीन इलाका जाना जाता है। जहां दुनियाभर से हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी निज़ामुद्दीन दरबार में हाजरी देने पहुंचते हैं, और अपनी परेशानियों से छुटकारा पाते हैं। हर वर्ष यहां उर्स का आयोजन होता है। इस वर्ष भी उर्स का आयोजन हुआ। लेकिन कोरोना काल के चलते प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार सभी कार्यक्रम सम्पन्न हुए।
सात सौ साल पुराना दरबार हज़रत सैय्यद निज़ामुद्दीन औलिया की उर्स महल की इमारत तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बनवाई थी। जिसकी बुनियाद कुछ इस तरह हुई थी, कि 1960 में जब उर्स कार्यक्रम एक मैदान के मिट्टी के चबूतरे पर हो रहा था, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उर्स के आयोजन में शामिल हुए। जब अचानक बारिश हुई तब देखा कार्यक्रम में सभी भींग गये। उसी दौरान जवाहरलाल नेहरू ने संस्कृति मंत्री हुमायूं कबीर को आदेश दिया कि, यहां एक बड़ा हाल बनवाया जाए।
लगभग दो साल में उर्स महल की बिल्डिंग बनकर तैयार हुई। तब 1962 में इमारत का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने किया था। तब से यहां के उर्स के कार्यक्रम इसी उर्स महल में आयोजित होते आ रहे हैं।