प्रदेश मेंनगरीय निकायों को वर्ष 2027 तक कचरा प्रबंधन में आत्मनिर्भर बनाने के लिये नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं। गीले कचरे को कंपोस्टिंग के लिये कटनी और सागर शहर में अत्याधुनिक स्वचालित इकाइयां लगाई गई हैं, जहां 16 शहरों से कचरा लाकर उसे कंपोस्ट में बदला जा रहा है। इंदौर में गीले कचरे से बायो सीएनजी तैयार करने के लिये 550 टन प्रतिदिन क्षमता की गोबरधन इकाई लगाई गई है।
रीवा और जबलपुर में कचरे से बिजली बनाने की इकाइयाँ भी संचालित हो रही है। इनमें प्रतिदिन 950 टन कचरे का प्र-संस्करण किया जाकर 18 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है। प्रदेश के 10 नगरीय निकायों के लिये क्लस्टर आधार पर 1018.85 टन प्रतिदिन क्षमता की इकाइयों के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिल गयी है। इंदौर-उज्जैन में 607 टन कचरे से बिजली बनाने की यूनिट्स का काम प्रस्तावित है। इनके प्रारंभ होने से 12.15 मेगावॉट बिजली प्राप्त होगी।