मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए, ग्वालियर, धार और झाबुआ जिलों में घटित विभिन्न घटनाओं पर तत्काल संज्ञान लिया और संबंधित जिलों के कलेक्टर्स से दूरभाष पर चर्चा कर स्थिति की जानकारी प्राप्त की।
साथ ही, आम नागरिकों की राहत के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए। इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि मुख्यमंत्री ने किन घटनाओं पर ध्यान दिया और किस प्रकार से उन्होंने राज्य के नागरिकों की सुरक्षा और राहत के लिए त्वरित कदम उठाए।
झाबुआ: दो बच्चियों के बहने पर सहायता निर्देश
झाबुआ जिले में दो मासूम बच्चियों के दुर्भाग्यपूर्ण रूप से बह जाने की घटना पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कलेक्टर को स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रभावित परिवारों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए।
इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इस पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने और अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करने का निर्देश दिया गया।
ग्वालियर: ट्रॉमा सेंटर की घटना पर त्वरित कार्रवाई
ग्वालियर के ट्रॉमा सेंटर में घटी घटना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विशेष रूप से चिंताजनक स्थिति का संज्ञान लिया। उन्होंने कलेक्टर से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए स्टाफ को सतर्क और जागरूक रहने की हिदायत दी।
ट्रॉमा सेंटर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर हर एक स्टॉफ सदस्य को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभाने का निर्देश दिया गया ताकि किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को रोका जा सके।
धार: जनजातीय बालक आश्रम में जलभराव की समस्या
धार जिले के डही विकासखंड के ग्राम बड़वानिया में स्थित जनजातीय बालक आश्रम परिसर में वर्षा के कारण जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई, जिससे विद्यार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कलेक्टर से चर्चा कर इस घटना की जानकारी प्राप्त की।
प्रशासन ने समय रहते सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था, जिसकी जानकारी कलेक्टर ने मुख्यमंत्री को दी। मुख्यमंत्री ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सभी आवश्यक सावधानियों को अपनाने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि इस घटना में जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने बच्चों की सुरक्षा में सक्रिय भागीदारी निभाई, उन्हें राज्य सरकार सम्मानित करेगी। इस तरह की घटनाओं में नागरिकों की सक्रियता और सजगता से बड़ा नुकसान टाला जा सकता है।
मुख्यमंत्री का राजधर्म और प्रशासनिक कुशलता
यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने पिता के निधन के बाद भी राजधर्म का पालन करते हुए प्रदेश की स्थिति पर अपनी गहन नजर बनाए रखी। उनके पिता का निधन 3 सितंबर को हुआ था, और 4 सितंबर को अंतिम संस्कार के बाद भी उन्होंने विभिन्न जिलों में हो रही घटनाओं पर सतर्कता बनाए रखते हुए त्वरित कार्रवाई की।
उज्जैन स्थित अपने निवास से दूरभाष के माध्यम से मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों के कलेक्टरों से संपर्क किया और आम नागरिकों के हित में जरूरी निर्देश जारी किए। यह दिखाता है कि मुख्यमंत्री अपने व्यक्तिगत दुख के समय भी प्रदेश के नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे और अपनी प्रशासनिक कुशलता का परिचय दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर, झाबुआ और धार जिलों की घटनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया दी, जो उनकी संवेदनशीलता और प्रशासनिक क्षमता को दर्शाती है। उनके निर्देशों के अनुसार प्रशासन ने तत्काल कदम उठाए और प्रभावित नागरिकों को राहत प्रदान की। इस प्रकार की घटनाओं से निपटने में मुख्यमंत्री की त्वरित प्रतिक्रिया से स्पष्ट होता है कि वे नागरिकों की सुरक्षा और राहत के लिए हमेशा तैयार रहते हैं