छिंदवाड़ा: गोटमार मेला प्रारंभ, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी निभाई जा रही अजब गजब परम्परा

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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Chhindwara Gtmar Mela: छिंदवाड़ा: गोटमार मेला प्रारंभ, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी निभाई जा रही अजब गजब परम्परा

छिंदवाड़ा: विश्वभर में प्रसिद्ध जिले के पांढुर्णा में गोटमार मेला शनिवार को सुबह निशान चढ़ाने के साथ हो गया। यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद लोग पत्थरबाजी की वर्षों पुरानी परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं।

हालांकि, गोटमार मेला शुरू होने से एक दिन पहले शुक्रवार शाम को ही पत्थरबाजी शुरू हो गई थी, जिसमें कुछ लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है।

उल्लेखनीय है कि जिले में बहने वाली जाम नदी पर पांढुर्णा और सावरगांव के संगम पर सदियों से चली आ रही गोटमार खेलने की परंपरा है। यहां दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। पोला पर्व के दूसरे दिन लगने वाले गोटमार मेले पर भले ही लोग लहुलूहान हों, लेकिन दर्द को भूलकर भी पूरे जोश व उमंग के साथ परंपरा निभाई जाती है।

शनिवार सुबह गोटमार मेले पर आराध्य मां चंडिका के मंदिर में हजारों भक्त जुटें और पूजन के साथ मां के चरणों में माथा टेका। मां चंडिका के दर्शन के बाद से ही गोटमार खेलने वाले खिलाड़ी मेले में हिस्सा लेने लगे।

मेले से जुड़ी है कहानियां

विश्वप्रसिद्ध गोटमार मेले की परंपरा निभाने के पीछे कहानियां जुड़ी हैं। एक प्रचलित कहानी के अनुसार पांढुर्णा के युवक और सावरगांव की युवती के बीच प्रेमसंबंध थे। युवक ने सावरगांव पहुंचकर युवती को भगाकर पांढुर्णा लाना चाहा, पर दोनों के जाम नदी के बीच पहुंचते ही सावरगांव में खबर फैल गई। प्रेमीयुगल को रोकने सावरगांव के लोगों ने पत्थर बरसाए, वहीं जवाब में पांढुर्णा के लोगों ने भी पत्थर बरसाए। इस पत्थरबाजी में प्रेमीयुगल की तो मौत हो गई, पर तब से गोटमार मेले की परंपरा शुरू होने की बात कहानी के अनुसार कही जाती है।

युद्धभ्यास की कहानी

कहानी प्रचलित है कि जाम नदी के किनारे पांढुर्णा-सावरगांव वाले क्षेत्र में भोंसला राजा की सैन्य टुकड़ियां रहा करती थीं। रोजाना युद्धभ्यास के लिए टुकड़ियां के सैनिक नदी के बीचो-बीच झंडा लगाकर पत्थरबाजी और निशानेबाजी का मुकाबला करते थे। सैनिकों को निशानेबाजी और पत्थरबाजी में दक्ष करने यह सैन्य युद्धभ्यास लंबे समय तक जारी रहा। जिसने धीरे-धीरे परंपरा का रूप ले लिया। इस कहानी को भी गोटमार मेला आयोजन से जोड़ा जाता है और हर साल परंपरा निभाई जाती है।

कम नहीं होगा अपनों को खोने का गम

भले ही गोटमार मेला सदियों से चली आ रही परंपरा अनुसार मनाया जा रहा है, पर मेले में अपनों को खोने वाले परिवारों का गम भी उभर जाता है। मेले के आते ही क्षेत्र के कई परिवारों के सालों पुराने दर्द उभर आते है। क्योंकि इन परिवारों ने गोटमार में ही अपनो को खोया है। गोटमार के दौरान अब तक किसी का पति, तो किसी का बेटा, किसी का पिता और भाई अपनी जान गवां चुके हैं। वहीं कई खिलाड़ियों को शरीर पर मिले जख्म गोटमार के दिन हरे हो जाते हैं।

प्रशासन के प्रयास अब तक असफल

गोटमार की परंपरा सदियों से चली आ रही है। एक-दूसरे पर पत्थर बरसाकर लहुलूहान करने की इस परंपरा को रोकने प्रशासन ने तमाम प्रयास किए, पर प्रयास असफल रहे हैं। एक साल पत्थरों की बरसात रोकने रबर बॉल से खेल का प्रयास हुआ, पर चंद मिनटों में ही रबर बॉल सिफर हो गए और खिलाड़ियों ने पत्थरों से ही खेल शुरू कर दिया।

बीते पांच-छह सालों से हर बार गोटमार रोकने भरसक प्रयास हो रहे हैं।मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर आपत्ति जताई, जिसके बाद मेले में पत्थरबाजी को रोकने प्रशासन सख्ती से मुस्तैद रहा, पर गोटमार निभाने की परंपरा नही रूक पाई।

बदलते स्वरूप से वयोवृद्ध चिंतित

गोटमार मेले को सदियों से चली आ रही परंपरा की भांति मनाया जा रहा है, पर परंपरा पर विसंगतियां हावी होने से क्षेत्र के वयोवृद्ध चिंतित हैं। बुजुर्गों का कहना है कि गोटमार मेले में काफी बदलाव आ गया है। पहले की गोटमार और आज की गोटमार में जमीन-आसमान का अंतर है।

पहले एक हद में रहकर परंपरा के भांति मेला आयोजित होता था, पर अब अवैध शराब और गोफन से मेले का स्वरूप बदल गया है। गोटमार में खिलाड़ियों को परंपरा निभाने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए, ताकि पारंपरिक मेले का स्वरूप बरकरार रहे।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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