भोपाल: एमपी के भोपाल (Bhopal) की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हर्षा रिछारिया (Harsha Richhariya) ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कुछ धर्म-विरोधी तत्व AI-जनरेटेड वीडियो (Harsha Richhariya AI Video) के माध्यम से उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस विवाद के बीच हर्षा ने आत्महत्या की धमकी भी दी है, जिससे यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है।
एआई वीडियो विवाद: कैसे हुई शुरुआत?
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान निरंजनी अखाड़े के पेशवाई रथ पर दिखाई देने के बाद हर्षा रिछारिया चर्चाओं में आईं। हिंदू संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की सराहना की गई, लेकिन इसके साथ ही कुछ धर्म-विरोधी समूहों ने उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास भी किया।
हर्षा के अनुसार, सोशल मीडिया पर कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके वीडियो को एडिट कर उसे गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया। उन्होंने दावा किया कि एआई तकनीक का उपयोग कर उनके फर्जी वीडियो बनाए गए और सोशल मीडिया पर वायरल किए गए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंची है।
हर्षा रिछारिया का बयान: “मैं महादेव की शक्ति तक लड़ूंगी”
मंगलवार रात इंस्टाग्राम पर साझा किए गए वीडियो में हर्षा ने बेहद भावुक स्वर में कहा,
“मैं महादेव द्वारा दी गई शक्ति तक लड़ूंगी। मैं मुश्किलों का सामना करूंगी लेकिन अगर मैं लड़ाई जारी रखने में विफल रही, तो मैं अपनी जान दे दूंगी और इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों का नाम लूंगी।”
क्या हर्षा ने कभी साध्वी होने का दावा किया?
सोशल मीडिया पर कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या हर्षा ने कभी “साध्वी” होने का दावा किया था?
इस पर हर्षा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी स्वयं को साध्वी नहीं बताया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य युवाओं को हिंदू संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के प्रति जागरूक करना था।
उन्होंने आगे कहा,
“हालांकि, पुरुष अहंकार वाले कुछ धर्म-विरोधी तत्व मुझे रोक रहे हैं। मुझे कई लोगों से संदेश और ईमेल मिल रहे हैं।”
फर्जी एआई वीडियो और साइबर अपराध: क्या हुई कानूनी कार्रवाई?
हर्षा रिछारिया ने दावा किया कि उनके फर्जी वीडियो बनाने वालों के नाम उन्हें मिल चुके हैं। उन्होंने कहा,
“अगर किसी सुबह यह खबर आती है कि हर्षा रिछारिया ने आत्महत्या कर ली है, तो मैं इन सभी लोगों के नाम पीछे छोड़ जाऊंगी।”
इस मामले को लेकर भोपाल साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई गई है। उनके निजी सहायक के अनुसार, यह शिकायत दो सप्ताह पहले दर्ज की गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सोशल मीडिया पर बढ़ता ट्रोलिंग का खतरा
सोशल मीडिया आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे प्रभावी मंच बन चुका है, लेकिन इसके साथ ही ट्रोलिंग और साइबर बुलिंग के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
कुछ प्रमुख मुद्दे:
- एआई-जनरेटेड फर्जी वीडियो का उपयोग कर भ्रामक जानकारी फैलाना।
- सोशल मीडिया पर संगठित ट्रोलिंग द्वारा किसी की छवि को नुकसान पहुंचाना।
- साइबर अपराधों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में देरी।
- मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव, जिससे डिप्रेशन और आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
क्या सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए?
हर्षा रिछारिया का मामला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है। क्या सोशल मीडिया कंपनियों को ऐसे फर्जी वीडियो को फैलने से रोकने की अधिक जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?
इसके अलावा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी साइबर अपराधों पर त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वालों को जल्द से जल्द रोका जा सके।
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए सबक
यह मामला हमें सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों और एआई टेक्नोलॉजी के संभावित खतरों के प्रति सतर्क करता है।
क्या करें?
सोशल मीडिया पर किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसकी सत्यता जांचें।
यदि कोई एआई-जनरेटेड फर्जी वीडियो बनाकर आपको बदनाम करने की कोशिश करता है, तो तुरंत कानूनी मदद लें।
साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता फैलाएं और संगठित रूप से आवाज उठाएं।
क्या न करें?
बिना जांचे-परखे किसी भी वायरल वीडियो पर विश्वास न करें।
सोशल मीडिया ट्रोलिंग से प्रभावित होकर गलत निर्णय न लें।
किसी भी विवादित मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से पहले सावधानी बरतें।